Daanavee Sahagaan – दानवी सहगान / बाबा कल्पनेश
Daanavee Sahagaan – दानवी सहगान / बाबा कल्पनेश
गीतिका
दानवी सहगान
गीतिगा छंद
विश्व में खतरा बढ़ाये,आग यह अफगान की।
सँभल करके कदम रखना,चाल यह हैवान की।।
आग कब पहचान करती,कौन अपना गैर है।
मूल्य कब आतंक जाने,आदमी के जान की।।
खेल सत्ता का अनोखा,चल रहा संसार में।
बस वही प्रति ध्वनि अनोखी,दानवी सहगान की।।
रोकना इस आग को है,यह परीक्षा की घड़ी।
कब किसी का कत्ल कर दे,धार जो इस म्यान की।।
जल रहा अफगान केवल,बात यह ऐसी नहीं।
दृष्टि तोड़े किरकिरी यह,मानवी पहचान की।।
आग कैसे शाँत हो यह,प्रश्न हल्का है नहीं।
वाह करते शिष्ट जन भी,जल रहे खलिहान की।।
बाँट लेंगे जो बचेगा,आपसी गठजोड़ है।
बस जय रहे नित जय रहे,इस चले अभियान की।।
दृष्टि इस पर हो निरंतर,जो सुधी इंसान हैं।
शाँति निगले विश्व की यह,इस प्रकृति के मान की।।
यह घिनौना खेल निश्चय,बंद होना चाहिए।
जग प्रतीक्षा कर रहा है,आप के अवदान की।।
बाबा कल्पनेश
श्री गीता कुटीर-12,गंगा लाइन,स्वर्गाश्रम-ऋषिकेश
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