Bharat Kaise Shreshth Ho – भारत कैसे श्रेष्ठ हो / सीताराम चौहान पथिक
Bharat Kaise Shreshth Ho – भारत कैसे श्रेष्ठ हो / सीताराम चौहान पथिक
भारत कैसे श्रेष्ठ हो ॽ
स्नेह गया आदर गया ,
नैनन रही ना लाज ।
सास- ससुर सेवा करै
नारी करती राज ।।
भारत बड़ा उदार है ,
इसमें सभी समाए ।
प्रजातंत्र के देश में ,
द्रोही मौज उड़ाए ।।
खेल-जगत में देख लो ,
खेल बना व्यवसाय ।
राष्ट्र- प्रेम की भावना ,
पैसों पर बिक जाएं ।।
कोई क्षेत्र ऐसा नहीं ,
सच्ची निष्ठा होय ।
सभी ओर बगुले भगत ,
क्रूर – दृष्टि सब कोय ।।
आग लगी है देश में ,
झुलस रहे हैं लोग ।
काम- क्रोध- कुंठा- जलन ,
यह संक्रामक रोग ।।
नारी अब अबला नहीं ,
सबला अब कहलाए ।
नर को पाठ पढ़ा रहीं ,
कोर्ट – कचहरी जाए ।।
कॄष्ण – सुदामा से सख
राम- लखन से भ्रात ।
घर- घर की शोभा बने ,
दुआ करो दिन- रात ।।
भारत कैसे श्रेष्ठ हो ॽ
कैसे बनें महान ॽॽ
करो आत्म- चिन्तन सभी ,
स्वाभिमान पर ध्यान ।।
समय बीतता जा रहा ,
सोचो करो विचार ।
मनसा- वाचा- कर्म से ,
शुचिता जीवन – सार ।।
सीताराम चौहान पथिक
अन्य रचना पढ़े :
हिंदीरचनाकार (डिसक्लेमर) : लेखक या सम्पादक की लिखित अनुमति के बिना पूर्ण या आंशिक रचनाओं का पुर्नप्रकाशन वर्जित है। लेखक के विचारों के साथ सम्पादक का सहमत या असहमत होना आवश्यक नहीं। सर्वाधिकार सुरक्षित। हिंदी रचनाकार में प्रकाशित रचनाओं में विचार लेखक के अपने हैं और हिंदीरचनाकार टीम का उनसे सहमत होना अनिवार्य नहीं है।
यदि आपके पास हिन्दी साहित्य विधा में कोई कविता, ग़ज़ल ,कहानी , लेख या अन्य जानकारी है जो आप हमारे साथ साझा करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ ईमेल करें. हमारी id है: info@hindirachnakar.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ प्रकाशित करेंगे. धन्यवाद .