दर्द छलक उठा / डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र
दर्द छलक उठा धर्म जबमज़हबी ऐनक लगा लेता हैकुछ भी नहीं दिखाई पड़ता है तब उसेपार्थक्य नहीं कर पाता हैसही और ग़लत कावह और भी हिंसक हो जाता हैवैसे भी … Read More
दर्द छलक उठा धर्म जबमज़हबी ऐनक लगा लेता हैकुछ भी नहीं दिखाई पड़ता है तब उसेपार्थक्य नहीं कर पाता हैसही और ग़लत कावह और भी हिंसक हो जाता हैवैसे भी … Read More
लाज की ओढ़नी फिर पड़ी बांधनी | पुष्पा”शैली” दीप जगमग हुआ,प्रीति ने मन छुआ।गागरी भर उतरने लगी चांदनी।मन से मन जब मिला, तम लजाकर गिरा।लाज की ओढ़नी फिर पड़ी बांधनी। … Read More