तनहाई / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’

तनहाई / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ तनहाई में शीशे जैसा,दिल नहीं टूटने वाला। तनहाई में याद तुम्हारी , मेरा साथ निभा जाती है,तुम भी पूछो तनहाई से,कैसे क्या बतला जाती है।1। … Read More

आंसू भर रोए | विश्वास तेरी प्रीत का | प्रतिभा इन्दु

आंसू भर रोए…………….. जितना ही खो कर पाया हैउतना ही पाकर खो डाला !दरवाजे पर हंस लेते हैंआंगन में आंसू भर रोए ! आवाजें जो बंद कैद मेंपुनः लौटकर आ … Read More

आशा शैली की ग़ज़ल | ग़ज़ल

आशा शैली की ग़ज़ल ख्वाब में जो है मिला, सुब्ह बिखरने वालाबाग उम्मीद का देखा न संवरने वाला उसकी बातों का मैं किस तरह भरोसा कर लूँवो जो कर करके … Read More

जीवन धारा | पुष्पा श्रीवास्तव शैली

जीवन धारा निश्छल नदिया जैसी बहती रहती जीवन धारा,सबमें स्वयं समाहित होकर भर लाती उजियारा। कभी राह में कंकड़ पत्थर,कभी सुकोमल धरती।कभी जेठ की दोपहरी,और कभी साॅंझ सुंदर सी। बचपन … Read More

पिता का स्वर / सम्पूर्णानंद मिश्र

पिता का स्वर / सम्पूर्णानंद मिश्र आज सुनामैंने स्वर पिता काबिल्कुल भोर मेंकह रहे थे बेटाघर की याद आती हैवैसे अच्छा हैयहां अनाथाश्रम में भीवहां 40/45 के मकान मेंमेरा विस्तार … Read More

पिता की नसीहत / सम्पूर्णानंद मिश्र

पिता की नसीहत / सम्पूर्णानंद मिश्र पिता ने ‌पुत्र को‌नसीहत देते हुएकहा कि बेटाजिंदगी में पानी की तरहमत बहनासपाट‌ जीवन मत जीनारुकावटें आएंगीतुम्हें विचलित करजायेंगीतोड़ने ‌का प्रयास ‌किया जायेगाटूटना ‌मतबिकना … Read More

कुटुम्ब विनाशिनी | वेदिका श्रीवास्तव

कुटुम्ब विनाशिनी / वेदिका श्रीवास्तव लाज का झूठा घूँघट ओढ़े सम्मान उछाले नारी का ही ,कर्तव्य ,त्याग की दे दुहाई चैन ये छीने बेचारी का ,क्षण -क्षण निन्दा ,पग -पग … Read More

प्रदर्शन | सम्पूर्णानंद मिश्र

प्रदर्शन / सम्पूर्णानंद मिश्र और तौर-तरीके हैंप्रदर्शन केआगज़नी, तोड़फोड़, लूटपाटहल नहीं हैबहुत बड़ा अपराध हैक्षतिग्रस्त करनाइस तरह से देश कोलहू पीकर भाइयोंका अपने हीकभी नहीं प्रसन्न रह सकतेसमृद्धि की यह … Read More

बेटियां / सम्पूर्णानंद मिश्र

बेटियां न हो बेटियांतो नहीं आती हैं घर में खुशियांपिता की मान होती हैं ये बेटियांमां की शान होती हैं ये बेटियांबिन बेटियों के घर डराता हैज़िंदगी भर माता-पिता को … Read More

रोटी / बाबा कल्पनेश

रोटी विधा-कुंडलिया रोटी होती श्वेत है,गोल चकत्तेदार।हो गरीब या धनी ही,भर देती मुख लार।भर देती मुख लार,अधर तक छलके पानी।संत-असज्जन-चोर,वणिक-ज्ञानी-अज्ञानी।।मति विवेक दो टूक,करे अतिशय यह खोटी।जागे जिस क्षण भूख,बने मृगजल … Read More

दुल्हन है ऋंगार सृष्टि की / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’

दुल्हन है ऋंगार सृष्टि की,स्नेहिल जीवन का आधार,छुई-मुई सी कलिका पावन,उर नेह-तरंगित पारावार ।1। दृग-दीवट के दीप जलाये,सपनों का अम्बार सजाये ,सुधि-बुध में ही खोई रहती,तरुण वेदना किसे बताये।2। घूॅघट … Read More

पत्थरबाज़ | सम्पूर्णानंद मिश्र

ईर्ष्यान केवलजलाती हैतन और मनबल्किजला देती हैसकारात्मक सोच कीलकीर भीईर्ष्या की रखैलअंध- भक्तिन सेजन्म लेता हैएक विशेष जीवजो नफ़रत, उन्मादऔर देशद्रोह का खाद पाकर नयारंग- रूप पाता हैजिसके कर्म की … Read More

हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’, का रचना संसार

१. राष्ट्र वाद के शंखनाद से,नव वर्ष तुम्हारा स्वागत है।××××××××××××××××××× राष्ट्र वाद के शंखनाद से,नव वर्ष तुम्हारा स्वागत हो,धर्म-कर्म सद्भाव सुसज्जित,अनुपल जीवन आगत हो।टेक। कण-कण में उल्लास छलकता,वन,उपवन हर गॉव … Read More

नववर्ष तुम्हारा अभिनंदन!

नव वर्ष तुम्हारा अभिनंदन! नव वर्ष तुम्हारा अभिनंदन!माथे पर मलयागिर चंदन।। यह प्रात सजाए थाल खड़ी।तुम आए लेकर सुखद घड़ी।।शिशु भारत करता पद वंदन।नव वर्ष तुम्हारा अभिनंदन।। स्वागत में प्राची … Read More

लोकतंत्र में वंशगत प्रचलन रहेगा / Shravan Kumar Pandey Pathik

जब तक लोकतंत्र में वंशगत प्रचलन रहेगा,लोकतंत्र अपने स्थापित उद्देश्य से दूर रहेगा, हम भारतीयों में ,,,व्यक्ति पूजा का मानसिक दोष काफी गहरे प्रविष्ट हो चुका है, भारतीय व्यक्ति अपने … Read More