होली गीत : लाल हरा रंग नीला पीला,लेकर आई होली |दुर्गा शंकर वर्मा ‘दुर्गेश’

होली गीत

लाल हरा रंग नीला पीला,
लेकर आई होली।
होली गीत सुनाती आई,
फगुहारों की टोली।
ढोल,मंजीरा,झांझ लिए,
सब होली गीत सुनावें।
सुंदर-सुंदर गीत सभी के,
मन को खूब लुभावें।
सब के सब मस्ती में डूबे,
छाने भांग की गोली।
किसी का मुंह है लाल रंगा,
और किसी का रंगा है नीला।
रंग से कोई सराबोर है,
पूरा गात है गीला।
झुंड बनाकर साथ में चलते,
बन करके हमजोली।
कान्हा के गालों में जब,
राधा ने रंग लगाया।
रंगभरी पिचकारी लेकर,
कान्हा ने दौड़ाया।
राधा के जब रंग पड़ा,
तभ भीगी उनकी चोली।
एक साथ हिल मिलकर रहना,
सिखलाती है होली।
प्यार से मीठी बात करें,
ना बोलें कड़वी बोली।
नाचे गाएं खूब करें,

आपस में हंसी ठिठोली।

(अप्रकाशित, सभी अधिकार लेखक के आधीन)
दुर्गा शंकर वर्मा ‘दुर्गेश’

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