फागुनी रंग में रंगा प्रेरणा का एक होली गीत | नरेंद्र सिंह बघेल
फागुनी रंग में रंगा प्रेरणा का एक होली गीत ।
!!!!!!!!! रंग लगाएं होली में !!!!!!!!!
आओ हम सब मिलजुल कर ,
त्यौहार मनाएं होली में ।
प्रेम-स्नेह औ मर्यादा के ,
रंग लगाएं होली में ।।
टेसू से हों चटक रंग ,
रिश्तों मे साला-साली हों ।
भाभी माँ की प्रतिमूरत हों ,
सलहज भी वैभवशाली हों ।।
रिश्तों की गर्माहट के हम ,
रंग मिलाएं होली में ।
बाबू जी के चरण कमल पर ,
रंग लगाएं होली में ।।
आओ हम सब ——-
अलगोजा की तान बजे ,
इशुरी की फाग निराली हो ।
हर चौखट पर रंग रंगीली ,
खुशियों की पिचकारी हो ।।
पान-पतौखी शंकर बूटी ,
सबको सब अनुकूल मिले ।
दहीबड़ा औ गुझिया से भी ,
सबकी खातिरदारी हो ।।
ढोलक और नगरिया की भी ,
तान सुनाएं होली में ।
मर्यादा में रह कर हम सब ,
कबिरा गाएं होली में ।।
आओ हम सब ——–
ना हिन्दू ना मुस्लिम कोई ,
और ना सिक्ख ईसाई हों ।
ऊँच-नीच का भेद रहे ना ,
आपस में सब भाई हों ।।
हरा-केसरिया-पीला-नीला ,
सब रंगों की मर्यादा हो ।
नहीं किसी को कम हो कुछ भी ,
नहीं किसी को ज्यादा हो ।।
आसमान में आज तिरंगा ,
हम फहराएं होली में ।
जन-गण-मन का गान करें सब ,
मिलजुल गाएं होली में ।।
आओ हम सब मिलजुल कर ,
त्यौहार मनाएं होली में ।।
त्यौहार मनाएं होली में ।।
नरेन्द्र*