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कितनी बार टूटता है | सम्पूर्णानंद मिश्र
कितनी बार टूटता है | सम्पूर्णानंद मिश्र बूढ़ेमां -बाप की रोशनी होती हैंउनकी संतानें पूरी ज़िंदगीअपनी आंखोंकी रोशनी बेचकर संतानों कीख़्वाहिशों के आंगनमें उनके सपनों काजो पूर्ण चांद खिलाता हैवह … Read More
वह मात्र एक छलावा है | सम्पूर्णानंद मिश्र
वह मात्र एक छलावा है वैसे तोसुख की कोईपरिभाषा निश्चित नहीं है लेकिनअच्छी अनुभूति सुख का आधार हैऔर बुरी दु:ख का महात्मा बुद्ध ने कहाजीवन में दुःख ही दु:ख हैऔर … Read More
एक शिवाला | प्रतिभा इन्दु | हिंदी कविता
मेरे घर के भीतर आकरतुमने क्या से क्या कर डाला ,पहले था मेरा मन , मन साअब लगता है एक शिवाला ! सुबह – शाम घंटा , मन्त्रों सेध्वनि का … Read More
तुम बहुत ही याद आए | डॉ०भगवान प्रसाद उपाध्याय | हिंदी गीत
दर्द के बादल उमड़ करआंख में ऐसे समायेमौन व्याकुल इस हृदय मेंतुम बहुत ही याद आये प्यार का मकरंद घोलेजो विहंसता था यहाँरूप वह भोला सलोनाआज खोया है कहाँ दीप … Read More