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एक वासंती गीत | दुर्गा शंकर वर्मा ‘दुर्गेश’

एक वासंती गीत | दुर्गा शंकर वर्मा ‘दुर्गेश’ एक वासंती गीत शीत दूर हो रही,सूर्य ताप छा गया।लो वसंत आ गया,लो वसंत आ गया।बह रही वासंती पवन,मन मयूर नाचता।शीत ने … Read More

तुम्हारा प्यार ही तो है | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी’हरीश

तुम्हारा प्यार ही तो है | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी’हरीश तुम्हारा प्यार ही तो है,जो माधव बनकर आया है,बिखेरो स्नेह की खुशबू,सन्देशा सबको लाया है।टेक। नहीं शिकवे-गिले कोई,चॉदनी चॉद में खोई ,किसे … Read More

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देख लो आम के बौर को बेटियों | पुष्पा श्रीवास्तव शैली

देख लो आम के बौर को बेटियों देख लो आम के बौर को बेटियों,और पगडंडी की दूब पर बैठ लो।कूक कोयल की समझो जरा ध्यान से,आम महुए से बतियाते आराम … Read More

बदनसीबी | संपूर्णानंद मिश्र

बदनसीबी बदनसीबी जब आती हैअपना ही मुंह बिराती है बदनसीबी की मारीउस बेटी कीआंखें जब खुलीतब गंदीबस्तियां स्वागत मेंखड़ी थी उसके एक गहन अंधेरे मेंबदनसीब बच्चीभविष्य का असफलउजाला ढूंढ़ रही … Read More