तुम चलो पिय साथ मेरे | हिंदी गीत | नरेंद्र सिंह बघेल

तुम चलो पिय साथ मेरे ,
प्रेम से पथ को बुहारो ।
मैं तुम्हारे संग चल ,
हर हार को भी जीत लूंगी ।।
तुम प्रणय की राह में चल ,
प्यार की कलियाँ संवारो ।
मैं तुम्हारे संग चल कर ,
प्यार का पथ जीत लूंगी ।।

गेह का अभिसार करतीं ,
वेद की कितनी ॠचाएं ।
सव्यसांची बन के देतीं ,
रोज कितनी ही दिशाएं ।।
तुम समर्पण भाव से ,
एकबार तो मुझको पुकारो ।
मैं तुम्हारे संग मिल ,
इस प्यार का जग जीत लूंगी ।।1।।
तुम प्रणय के देवता हो ,
प्रीत है अनमोल तेरी ।
मैं तुम्हारी रागिनी हूँ ,
मैं हूँ तेरी ही चितेरी ।।
तुमको विषम भी भाव के ,
संकट कभी जब घेर लें तो ।
मैं तुम्हारे संग चल ,
हर संकटों को जीत लूंगी ।।2।।
तुम हो नूपुर आरती ,
आलता कुमकुम हमारे ।
जब कभी डगमग हुए पग ,
तुम मेरे ठहरे सहारे ।।
हमकदम बन संग मेरे ,
बाँह मेरी तुम जो धारो ।
मैं तुम्हारे संग चल कर ,
स्वर्ग का मग जीत लूंगी ।।3।।
तुम नहीं आए प्रिए ,
मैं याद के संग सो गयी ।
आँख आश्वासन लिए ,
इन आंसुओं में खो गयी ।।
प्रेम के इस पंथ की ,
मेरी जरा उलझन सँवारो ।
मैं तुम्हारे संग चल ,
संसार का सुख जीत लूंगी ।।4।।
**** नरेन्द्र ***

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