short poem on basant panchami in hindi

short poem on basant panchami in hindi: सीताराम  चौहान  पथिक  की  रचना वीणा वादिनि से  गुहार   पाठकों के  सामने  प्रस्तुत है आइये जानते क्यों  मनाया जाता  है  वसन्त पंचमी का  … Read More

कोहरे कि रातें/प्रदीप त्रिवेदी दीप

कोहरे कि रातें कोहरे कि रातें ठंडे बदन काँप रहे गातऔर काँप रहे मन शीत में ठिठुरती है कांपती जुबानें आज कटेंगी कैसे रात राम जाने। बिलख रहे पक्षी गण … Read More

अदृश्य हो गयी/डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र

 अदृश्य हो गयी अदृश्य हो गयी मेरी मां अब चली गई गोलोक साथ में अपना कुछ सामान लेकर कोई नहीं जाता अपने साथ लेकर यहां से कुछ ममता, झिड़कियां, क्रोध … Read More

raam- raajy/राम- राज्य-sitaram chauhan pathik

राम- राज्य स्थापित कर दो जन-जन की सुन लो व्यथा , जो मन ही मन नित मरते हैं । मन में उनके आक्रोश भरा , विष पीते और निगलते है … Read More