कवि चक्रधर नलिन की बाल कविताएं | Children Poems of Poet Chakradhar Nalin
पवन
धीरे धीरे बहे पवन।
झूमे धरती नील गगन।
कलियों की लोगंध उड़ी
धूप लगाये पीठ छड़ी
धरती नीचे कील गड़ी,
महके खण्डहर , उच्च भवन।
धीरे धीरे बहा पवन।
अमवा चढ़ कोयल बोले
वापी कूप अमृत घोले ,
अंतस के ताले खोले,
लपटे उठती जलाहवन।
धीरे धीरे बहा पवन
उपवन में उड़ती तितली
भंवरो की टोली पगली
कौवे की बोली नकली।
गाये फूलों भरा चमन
धीरे धीरे बहा पवन।
– कवि चक्रधर नलिन
२ जन्मभूमि
जन्मभूमि पद वंदन तेरा।
अमृत जैसा शीतल पानी ,
प्यार भरा उर, आँचल -धानी
हॅंसकर किये स्वर्ग न्यौछावर ,
ऋणी , धन्य माँ , जीवन पाकर,
सफल हुआ तन , मन, धन मेरा।
सोने से अति सुंदर माटी,
पोखर, ताल, कुंऐ, घट, वापी,
भूल न सकता कभी धूल को
चूमा तेरे शूल फूल को ,
मिट जाता जब तूने हेरा।
कहीं रहूँ पर तू न भूलती,
दिल में हर दम याद झूलती,
संकट आते बलि जाऊँगा,
तेरे विजय गीत गाऊँगा,
तुममें सदा लगाऊँ फेरा।
जन्मभूमि पद वंदन तेरा।
-कवि चक्रधर नलिन
३ वर्षा
वर्षा आई, वर्षा आई।
आसमान में कड़की बिजली,
लट फैलाए काली बदली,
आँधी छाई,आँधी छाई।
मेंढक वर्षा – गान सुनाते,
झींगुर गा त्यौहार मनाते ,
मस्ती लाई,मस्ती लाई।
खेत भरा जल पेड़ नहाये,
भन ने अपने अश्रु बहाये,
रिमझिम गाई रिमझिम गाई,
वर्षा आई, वर्षा आई।