गर्मी / डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र
हुआ जीवन बेहाल
तपती इस गर्मी से
जल रही धरती
जल रहा आकाश
तपती इस गर्मी से
जल रही है युवाओं की आशा
बेरोज़गारी की आग में
कोई बताए जाएं किस राह
जब जल गई हो सारी चाह
तपती इस गर्मी से
महंगी हो गई साड़ियां
महंगी हो गई कार
बेचारा आदमी
जल रहा है दिन- रात
तपती इस गर्मी से
ताने देकर उधर जलाती बीबी
समाचार सुनाकर इधर जलाती टी० बी०
आदमी हो गया है लाचार
तपती इस गर्मी से
दिल को कैसे पहुंचे ठंडक
जब सभी जलाते हों दिन- रात
भोला की मेहर जल गई
कल भूख की इस आग में
कोई बताए जाएं किस राह
लेकर C.L कुछ दिन चले जाओ
सूरज दादा अवकाश पर
अपना तेज़ आप संभारो
हर जन को मुक्ति दिलाओ
दिल को थोड़ा ठंडक पहुंचाओ
इस तपती आग से
महंगाई से जल रहा है देश
तुम और न आग लगाओ
आलू और इस प्याज में
दिल को थोड़ा ठंडक पहुंचाओ
लेकर चले जाओ C.L
कुछ दिन के अवकाश पर!
डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र
शिवपुर वाराणसी
7458994874