rishte poetry in hindi-रिश्तो पर कविता /कल्पना अवस्थी
rishte poetry in hindi
रिश्तो पर कविता /कल्पना अवस्थी
जिन रिश्तों
को दिल से
ना निभाया जाए
फिर कभी
ऐसे रिश्तों को
ना बनाया जाए
हर रिश्ता
विश्वास की नींव
पर खड़ा है
एक मजबूत
धागे मे , कमजोरी
से जुड़ा है
तो ऐसे
धागे को टूटने
से बचाया जाए
रिश्ता दिमाग से
नहीं दिल से
निभाया जाए ।
रिश्ता अँधेरे मे
जलते चिराग –सा
हैं
ठंड मे
सुकून देती आग
–सा है
सोने –सा बन इस
आग मे खुद
को तपाया जाए
और षडयंत्र
के जाल से
इसको बचाया जाए
फिर कभी
ऐसे रिश्तों को
ना बनाया जाए।
कपड़े की
तरह बदलने लगे हैं लोग
रिश्ते
जहाँ ज्यादा
फायदा हो , वही
मुड़ जाते है
अपने पराए
लगते हैं और
परायों से अपना–सा जुड़
जाते है
रिश्ता फूलों की
बगिया सा महकाया
जाए
इसमें योजनाओं का
जाल ना बिछाया जाए
रिश्ता प्रतियोगिता की
तरह ना निभाओ
किसको कब गिराना
है यह जाल
मत बिछाओ
प्यार की माला
को ना तोड़कर बिखराया जाए
कल्पना‘ का यह
संदेश लोगों तक
पहुँचाया जाए
जिन रिश्तों
को दिल से
ना निभाया जाए
फिर कभी
ऐसे रिश्तों को
ना बनाया जाए।
कल्पना अवस्थी |