Sitaram chauhan pathik kavita/तो हम जानें

Sitaram chauhan pathik kavita

तो हम जानें


यूं तो करते हैं एहसान सभी अपनों पर ,

ये एहसान गैरों पे करो – तो हम जानें ।

लुटाते हो  रेवड़ियां — भाई -भतीजो में ,

इन्सानियत का फर्ज निभाओ  तो हम जानें ।।

यूं तो करते हैं मुहब्बत सभी हसीनों  से ,

मुहब्बत गरीबों – अपाहिजो से करो तो हम जानें  ।

चढ़ते सूरज को सज़दा तो सभी करते हैं ,

 डूबते सूरज को नवाजों — तो हम  जानें  ।।

यूं तो  दावतों पे — दौलत  को  लुटाते हैं सभी  ,

भूखों को भरपेट खिलाओ ,

तो हम जानें  ।

कहते हैं खुदा बसता है –मजलूमो ‌ में ,

तक़दीर इनकी सॅवारो — तो हम जानें  ।।

यूं खुशामद तो सभी करते हैं –

बीवी की मगर ,

मां- बाप की खिदमत भी हो वैसी — तो हम जानें  ।

एहसान उनकी खिदमत का –

चुका  कोई नहीं पाया ,

बन जाओ दिल से आप श्रवण , — तो हम जानें  ।।

यूं तो जां लुटाते हैं हंसीनो पे सभी  ,

जान देश की खातिर लुटाओ

तो हम जानें  ।

देश  है  तो  हम  हैं – ये हकीकत  है  दोस्तो ,

गद्दारों को  धूल चटाओ तो हम जानें

सीताराम चौहान पथिक 


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