नदी | झूठी दिलासा – डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र
नदी जब तलक नदी बनकर जिएंगेलाखों की प्यास बुझाते रहेंगेसमुन्दर से मिलने की चाहत में तोअपनों से बहुत दूर चले जायेंगेकब किसी की प्यास बुझी है समुंदर सेनदी की दो … Read More
नदी जब तलक नदी बनकर जिएंगेलाखों की प्यास बुझाते रहेंगेसमुन्दर से मिलने की चाहत में तोअपनों से बहुत दूर चले जायेंगेकब किसी की प्यास बुझी है समुंदर सेनदी की दो … Read More