हस्ताक्षर बियाबान का /सम्पूर्णानंद मिश्र | New Poetry

हस्ताक्षर बियाबान का /सम्पूर्णानंद मिश्र | New Poetry हस्ताक्षर बियाबान का कोसा जा रहा है वक़्त को इस समय कि ज़ालिम है बेरहम है हस्ताक्षर है उजड़े बियाबान का सिंदूर … Read More