तुम बहुत ही याद आए | डॉ०भगवान प्रसाद उपाध्याय | हिंदी गीत
दर्द के बादल उमड़ कर
आंख में ऐसे समाये
मौन व्याकुल इस हृदय में
तुम बहुत ही याद आये
प्यार का मकरंद घोले
जो विहंसता था यहाँ
रूप वह भोला सलोना
आज खोया है कहाँ
दीप स्मृति के जलाकर
द्वार पर मैंने सजाये
मौन व्याकुल इस हृदय में
तुम बहुत ही याद आये
अमराइयों की छांव में जो
कल सुनहरे पल बिताए
प्रश्न अनसुलझे बहुत थे
पर तुम्हीं ने हल सुझाये
शब्द तुमसे ही चुराकर
गान भ्रमरों ने सुनाए
मौन व्याकुल इस हृदय में
तुम बहुत ही याद आये
लहर गिनना या अकेले
बैठ यादों के झरोखे
जिन्दगी ने प्यार में
अनगिनत खाए हैं धोखे
पर तुम्हारा पत्र ही है
जो सदा ढाढ़स दिलाए
मौन व्याकुल इस हृदय में
तुम बहुत ही याद आये
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