bhagwan shri ram par kavita- सीता राम चौहान पथिक

 bhagwan shri ram par kavita


कहां
मिलेंगे राम

 

 

बोल अवध की माटीतू ही, कहां मिलेंगे राम

तेरी ही माटी में खेले थेत्रेता में राम

 

प्रजा आज दे रही दुहाई ,

कष्ट हरो  आकर रघुराई ,

मानवता होती खंडखंड,

पशुता का शासन बेलगाम।

 

बोल अवध की माटी, तू ही कहां मिलेंगे राम

आतंकी रावण का साया ,

अखिल विश्व पर उसकी छाया

भस्मासुरी शक्तियां करती   ,

ध्वस्त  सुदृढ़   निर्माण   ।।

 

बोल अवध की माटी तू ही, कहां मिलेंगे  राम 

रामराज्य गांधी का सपना,

वह सपना जनजन का अपना ,

भ्रष्ट आचरण की  वेदी  पर  ,

मॄतगांधी  का  कोहराम

 

बोल अवध की माटी तू हीकहां मिलेंगे राम

वंशज दुःशासन के तमाम ,

चीरहरण  है  बेलगाम ,

हत्याएं  और  डकैती जैसे ,

जनप्रतिनिधि करते काम

 

बोल अवध की माटी तू हीकहां मिलेंगे राम

प्रजातन्त्र के यह संरक्षक ,

अपने  ही कानून के भक्षक ,

सेवक बन चुनाव को जीते  ,

मतदाता  अब जैसे गुलाम

बोल अवध की माटी तू हीकहां मिलेंगे राम

जासु राज प्रिय प्रजा दुःखारी,

सो नॄप अवस नरक अधिकारी

तुलसी का यह कथन असंगत

प्रजा नरकनॄप स्वर्ग समान

 

बोल अवध की माटी तू हीकहां मिलेंगे राम

ध्वस्त हो रहीं मर्यादाएं  ,

पुत्रों से दुखिया माताएं ,

नारी ने त्यागा सौम्य रूप ,

पश्चिम का पीकर एक जाम

 

बोल अवध की माटी तू हीकहां मिलेंगे राम

अरबोंखरबों के घोटाले  ,

नीयत खोटी धंधे काले ,

विश्वासघात पगपग मिलता

कैसे कह दें  – भारत महान 

 

बोल अवध की माटी तू हीकहां मिलेंगे राम

हे पंच तत्वपुनः योग करो ,

ब्रह्मात्मा  का कर  ध्यान   ,

दिव्यज्योति नभ से उतरे ,

शिशु बन कर राम समान 

 

बोल अवध की माटी तू हीकहां मिलेंगे राम

तेरी ही माटी मेंखेले थे त्रेता में राम ।।

 

सीता राम चौहान पथिक

 

 

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