एक गीत सपन का | फिर कहो कि मुझसे प्यार नहीं !! नरेंद्र सिंह बघेल
एक गीत सपन का | फिर कहो कि मुझसे प्यार नहीं !! नरेंद्र सिंह बघेल
1 .एक गीत सपन का
ये शाम है धुआं धुआं ,
कि गुम सा कोई ख्वाब है ।
जो वादियों मे खो गया ,
वो मेरा इंतखाब है ।।
ख्वाब कुछ बुने ही थे ,
कि लो सहर ही आ गयी ।
स्वप्न पालकी मे थे ,
वो नींद से जगा गयी ।
प्रश्न ही खड़े रहे ,
कुछ दरमियां हमारे यूँ ।
कि हल न कुछ निकल सका ,
कि लो सहर जगा गयी ।
ये भोर की किरण ही अब ,
सवाल का जबाब है ।।
जो वादियों मे खो गया ,
वो मेरा इंतखाब है ।।
दूर – दूर रहके हम ,
यूँ पास कितने हो गये ।
बादलों की ओट में ,
न जाने कैसे खो गये ।
धुंध मे प्रणय के गीत ,
और स्वर की साधना ।
साधते रहे थे हम ,
और सपन सो गये ।
निस्तेज सब गणित हुयी ,
बस जागरण हिसाब है ।।
जो वादियों मे खो गया ,
वो मेरा इंतखाब है ।।
**** नरेन्द्र ***
।। फिर कहो कि मुझसे प्यार नहीं ।।
****
जब उड़े प्रीत की बादरिया ,
मन में बाजे जब बाँसुरिया ।
जब शीतल मंद समीर बहे ,
और प्यार की छलके गागरिया ।।
हो प्यार का जब इज़हार कहीं ।
फिर कहो कि मुझसे प्यार नहीं ।।1।।
***
मीठे सपनों की वो रातें ,
होती थीं रोज मुलाकातें ।
एक दूजे में खो जाने की ,
वो मीठी प्यारी सी बातें ।।
हो सपनों में अभिसार कहीं ।
फिर कहो कि मुझसे प्यार नहीं।।2।।
***
ये रेत – समंदर – पानी जैसा,
गहरा नाता है ,
जी कर मरना मर कर जीना ,
हमको आता है ।
सदियाँ कितनी बीत गयीं ,
हमको समझाने में ,
रूठे रहें मगर समझाना ,
हमको आता है ।।
कहो हमारे बीच में तो ,
ऐसा इसरार नहीं ।।
फिर कहो कि मुझसे प्यार नहीं ।।3।।
***
कुछ भूली- बिसरी सी यादें ,
वो प्यार की कितनी बरसातें ।
सब तटबन्धों सी टूट गयीं ,
तेरी -मेरी वो मुलाकातें ।।
जब दिखता है इक़रार कहीं ।
फिर कहो कि मुझसे प्यार नहीं।।4।।
**** नरेन्द्र ***
( इज़हार = कहना , बताना
अभिसार = प्रिय से मिलन
इसरार = आग्रह , निवेदन ,हठ
इक़रार = मानना , स्वीकार करना )