वेलेंटाइन डे पर हिंदी कविता| श्रवण कुमार पाण्डेय पथिक | Hindi poem on valentine day
हर वर्ष ,वेलेंटाइन डे नियम से आता है,
ठाठ से,सड़कछाप प्रेम से जुड जाता है,!
दिल जुड़ता भी और टूट भी जाता है,
बाप जो कमाता है,पूत वह गंवाता है,!!
तू बस ,चाल चला चल ,धुन्नी आता है,
मंगरु कबाड़ी भी गुलाब लिये जाता है,!
कभी ,जोड़े की,घोड़ी बदल जाती है,
कभी,जोड़े का ,घोडा ,बदल जाता है,!!
पुरअसर है बेहया पश्चिमी हवाओ का,
नीम का बिरवा कदम्ब सा हो जाता है,!
जैसे कोई सेंहुंड नागफनी के सिर में,
प्रेमरस से गबड़कर गुलाब सजाता है,!!
प्रेम पंथ में न चले तो जिंदगी व्यर्थ है,
नवोढ़ा प्रेमी जोड़ा जोखिम उठाता है!
वेलेण्टाइंड़ दार्शनिकता स्वयंसिद्ध,
साहसी प्रेमी ,प्रेम में जूते तक खाता है,!
उम्र भर श्वानों का मौसम देखा सुना,
इन्सान के नाम भी मौसम हुआ जाता है,!
बाप उम्र बेंचता भाव बेभाव रातदिन,
खलियर सपूत वे,लेंटाइन डे मनाता है,!!
– श्रवण कुमार पाण्डेय पथिक