पत्ते / सम्पूर्णानंद मिश्र

पत्ते

पत्ते
आभूषण हैं पेड़ों के
इनके आने से
खिल उठते हैं पेड़
हिलने लगती हैं डालियां
वैसे ही
जैसे
बच्चे के जन्मने पर
मां
लेकिन
कुछ
स्वाभिमानी पत्ते
स्वत: गिर जाते हैं
धरती पर
कुछ
धकिया कर
गिरा दिए जाते हैं
और
जो गिराए जाते हैं
उनकी
आंखों में दूर-दूर तक
हया नहीं दिखती
दरअसल
जो बोझ
अपनी हया पीकर
पड़े रहना चाहते हैं
पेड़ परिवार
और
देश में
उन्हें कोई सिर
नहीं उठा सकता
ज़्यादा देर तक
यही शाश्वत
नियम है प्रकृति का

सम्पूर्णानंद मिश्र
शिवपुर वाराणसी
7458994874

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *