राखी | दुर्गा शंकर वर्मा ‘दुर्गेश’
राखी
बहना राखी लेकर आई,
बहना राखी लेकर आई।
भाई के घर जब भी आई,
खुश होकर मुस्काई।
माथे रोली तिलक लगाये,
भाई राखी को बंधवाये।
अपने मन में खुश हो करके,
गीत खुशी के हरदम गाये।
भइया मेरा रहे सलामत,
देती यही दुहाई।
उम्र बढ़े मेरे भइया की,
लगे न नज़र किसी की।
जीवन में खुशहाली आये,
दु:ख न आये कभी भी।
मेरा भइया चले साथ में,
जैसे चले परछाईं।
भइया से वादा करवाती,
मेरी लाज़ बचाना।
जब-जब याद करूं मैं तुमको,
दौड़ के सदा ही आना।
ग़म की रात कभी न आये,
द्वारे बजे शहनाई।
दुर्गा शंकर वर्मा ‘दुर्गेश’
रायबरेली
२९.०८.२०२३