Short poem on Swami Vivekananda in Hindi | स्वामी विवेकानंद पर नयी कविता

Short poem on Swami Vivekananda in Hindi | स्वामी विवेकानंद पर नयी कविता

स्वामी विवेकानंद की जयंती विशेष पर कविता

जागो राष्ट्र निवासी मेरे,जागे भारत देश।
जहाँ जागरण हो जाता है,रहता वहाँ न क्लेश।।
जागो और जगाओ सब को,दे विवेक संदेश।
सारी धरती चाह रही है,प्रातः का परिवेश।।

खिले कमल दल भारत भर में,बांटे पुष्प पराग।
प्रातः की सुषमा से पूरित,सरसिज खिले तड़ाग।।
लिखो जागरण मंत्र छंदमय,गणपति सिद्ध-सुजान।
चाह रही है धरती-भारत,मिटे तिमिर अज्ञान।।

स्वर्णिम पंख पसारे उतरी,करे उषा कलगान।
केवल जागृत रहने वाले,देखें सुखद विहान।।
खग कुल निर्भय विचरण करते,अपने पंख पसार।
नहीं मगन मन उड़ पाते जो,होते मुदित निहार।।

पढ़ो वेद की पुनः ऋचाएं,गढ़ो नवल संसार।
यही विवेकानंद कथन है,सुखद धरा आधार।।
दूर अशिक्षा हो भारत से,और गरीबी दूर।
जन-जन सभी विवेक दक्ष हों,रिपुदल चकनाचूर।।

लिखें-पढ़े श्रम से आवेष्टित,भारत जन भरपूर।
विश्व मंच पर ध्वनित गिरा हो,जय-जय भारत शूर।।
जय कबीर जय तुलसी जय-जय,जयति विवेकानंद।
जय सुरसरि जय गिरवर बोलो,रामकृष्ण सुख कंद।।

बाबा कल्पनेश
श्री गीता कुटीर-12,गंगालाइन,स्वर्गाश्रम-ऋषिकेश,पिन-249304

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