Hindi Poetry Mothers day -मां कहां हो/ संपूर्णानंद मिश्र
Hindi Poetry Mothers day मां कहां हो? दुनिया की नज़रों से छुपाती थी मुझे अपने सीने से लगाती थी तुम्हारे दूध का कोई मोल नहीं मां तेरी ममता का कोई … Read More
Hindi Poetry Mothers day मां कहां हो? दुनिया की नज़रों से छुपाती थी मुझे अपने सीने से लगाती थी तुम्हारे दूध का कोई मोल नहीं मां तेरी ममता का कोई … Read More
डॉ. सम्पूर्णानंद मिश्र की रचनायें वर्तमान परिस्थिति पर आधारित होती है , Hindi kavita khaul raha hai (खौल रहा है ) यह रचना भी उसी का उदाहरण है प्रस्तुत रचना … Read More