महाकुंभ और त्रिवेणी स्नान के कुछ निर्गुण दोहे | नरेन्द्र सिंह बघेल
महाकुंभ और त्रिवेणी स्नान के कुछ निर्गुण दोहे | नरेन्द्र सिंह बघेल (1 ) बचपन से हमने सुना,मोक्षदायिनी गंग । धोकर तन के पाप को ,करती काया चंग ।।( 2 … Read More
महाकुंभ और त्रिवेणी स्नान के कुछ निर्गुण दोहे | नरेन्द्र सिंह बघेल (1 ) बचपन से हमने सुना,मोक्षदायिनी गंग । धोकर तन के पाप को ,करती काया चंग ।।( 2 … Read More
है ज़र्द -ज़र्द मौसम ,और मौसमी हवाएं ।इस प्यार के सफर में ,हम तेरे गीत गाएं ।।फिर से बसंत आया ,सूनी है अमराई ।तुम बिन गुजर गयी शब ,फिर याद … Read More