stri poem -स्त्री / वेदिका श्रीवास्तव

स्त्री स्त्री जब तक त्यागी है,तभी तक सबकी प्यारी है!अधिकार ,धरम इसका ना पुछो कितना इसने छोड़ा है ,इसके हर शब्दों को समझो ,अपनो के ये मारी है !स्त्री जब … Read More