अनुभवों का कोई मोल नहीं / शैलेन्द्र कुमार

अनुभवों का कोई मोल नहीं / शैलेन्द्र कुमार

पिता ने मुझसे कहा
लिख लो सब डायरी में

मैंने कहा सब फोन में नोट है
उन्होंने दोहराया
फिर भी…
जो बहुत जरूरी हो लिख लो

मैंने कहा
आप पुराने जमाने के हो
आपको कुछ भी ज्ञान नहीं
तकनीकी का कोई भान नहीं

चुप हो गए वह
बस इतना ही कहा
अच्छे बुरे वक्त की तुम्हे पहचान नहीं
डिलीट हो सकती हैं चीजें
नहीं मिलेंगी कुछ भी ढूंढे

मैं हँसा
बोला पापा मुझे न सिखाया करो
अपनी उम्र वालों को पढ़ाया करो

तभी अचानक
फोन की स्क्रीन पर नोटिफिकेशन चमका
सारे पासवर्ड बदल दिए गए हैं
(कोई वायरस आ धमका)

पांँव तले जमीन खिसक गई
कुछ काम तत्काल था
किंतु
संबंधित सूचना का आभाव था

सोचने लगा पापा की बात का शायद यही सार था
कितना भी पढ़े लिखे हो,
जीवन संघर्षों का कोई तोल नहीं
ज्ञान तो ठीक है लेकिन
अनुभवों का कोई मोल नहीं

शैलेन्द्र कुमार असिस्टेंट प्रोफेसर हिंदी
राजकीय महिला महाविद्यालय कन्नौज

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *