जाग्रत कवि संपूर्णानंद! हूबनाथ पांडेय

कवि अपने समय का सजग प्रहरी होता है। वह अपने समय और समाज की प्रत्येक गतिविधि पर पैनी नज़र रखता है और समाज के सार्थक विकास में आनेवाली अड़चनों – बाधाओं को दर्ज करता चलता है ।
वह समाज की विधायी क्षमताओं और शक्तियों के प्रति भी सहानुभूतिपूर्ण नज़रिया रखते हुए अपनी तरह से अपने समय के उत्थान में अपनी भूमिका निभाता है।
सच्चा कवि शोषणकारी शक्तियों का चारण या भाट नहीं होता वह एक शिक्षक की नैतिकता के साथ अन्याय, शोषण और ज़ुल्म का अपनी लेखनी से विरोध भी करता है।
संपूर्णानंद जी पेशे से ही नहीं स्वभाव से भी शिक्षक हैं तथा एक सजग प्रहरी की तरह कबीर की भाषा में वे निरंतर जागते रहते हैं और ‘रोते’ रहते हैं। उनका यह रुदन अरण्यरोदन न होकर अज्ञान के अंधकार में भटक रहे लोगों के प्रति करुणा का प्रतीक है।
संपूर्णानंद जी की कविताओं का स्थायी भाव करुणा ही है। मानव मात्र के प्रति अकुंठ करुणा जो उन्हें अपने समय का सशक्त रचनाकार बनाती है।
जीवन का शायद ही ऐसा कोई पक्ष होगा जिसपर कवि की गंभीर दृष्टि न पड़ी हो!
पूरी तटस्थता और निष्पक्षता से वे अपने समय का सटीक मूल्यांकन अपनी कविताओं में करते हैं। अत्यंत सहज और सरल बोलचाल की भाषा में किंतु अर्थगर्भित प्रतीकों के माध्यम से वे अपने विचारों को कविता की शक़्ल देते हैं।
उनका वर्तमान संग्रह ‘सभ्यता की कमीज़’ पूरी व्यंजना के साथ हमारे समय का साक्षी बनकर प्रस्तुत हुआ है।
मैं संपूर्णानंद जी की प्रतिभा का कायल हूँ और इनकी सृजनात्मकता के प्रति मंगलकामनाएँ व्यक्त करता हूँ।

हूबनाथ पांडेय
प्रोफेसर हिन्दी विभाग
मुंबई विश्वविद्यालय मुंबई

संवेदनाओं में लिपटी हुयी
जब काव्यात्मक काव्य धर्मिता पीड़ा का स्वरूप
ग्रहण करती है तब ऐसी
सर्जना का प्रादुर्भाव होता है जो समाज को नयी दिशा दिखाती है।
और तभी संवेदनाओं का भार ढोती हुयी लेखनी
से ऐसी रचनाओं का प्रस्फुटन होता है।
भाषा,भाव और अभिव्यक्ति का एक उत्कृष्ट सम्पुट कविता
को और घनीभूत बना देता है। डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र की कविताओं में आम जन की पीड़ा पूरी तरह से उभय कर आती है। मिश्र जी की कविता को पढ़ते समय धूमिल की याद आती है। मिश्र जी की कविता हाशिए पर पड़े लोगों की पूरी खबर लेती है।
ऐसे रचनाकार को बहुत बहुत बधाई एवं साधुवाद

डॉ दयाशंकर पाण्डेय
वरिष्ठ कवि अकबरपुर
फ़ैजाबाद

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *