बेटियां / सम्पूर्णानंद मिश्र
बेटियां
न हो बेटियां
तो नहीं आती हैं घर में खुशियां
पिता की मान होती हैं ये बेटियां
मां की शान होती हैं ये बेटियां
बिन बेटियों के घर डराता है
ज़िंदगी भर माता-पिता को रुलाता है
मां जब थपकी देकर सुलाती हैं बेटियां
बड़े मन से खिलाती हैं दूध और रोटियां
तो चमक आ जाती है मां के कपोलों पर
जिस घर में नहीं गूंजती हैं
इनकी किलकारियां
वहां से चली जाती हैं समृद्धियां
जगत की सार हैं ये बेटियां
मां के गले की हार हैं ये बेटियां
कभी नहीं करती हैं लालच ये बेटियां
दु:ख में मां- बाप के दौड़ पड़ती हैं ये बेटियां
चूल्हे चौके से लेकर हवाई जहाज चलाती हैं ये बेटियां
मां- बाप की मुसीबत में खड़ी हो जाती हैं ये बेटियां
नन्हें- नन्हें कोमल पैरों से चलती हैं घर में जब बेटियां
तो देवलोक से धरती पर उतर आतीं हैं रंगबिरंगी और कई परियां
सम्पूर्णानंद मिश्र
शिवपुर वाराणसी
7458994874