bhavishy ka pankh/डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र
भविष्य का पंख
(bhavishy ka pankh)
भविष्य का पंख जहां
हमारी आशाओं को
उड़ाता है
तोड़ता है
स्वप्नों को भी वहीं वह
तो क्या यह मान लिया जाय
भविष्य एक मीठा छलावा है
जो आकांक्षाओं के
उड़नखटोले पर बैठाकर
इतना लापरवाह बनाता है
मनुष्य को
कि हमारी वर्तमान की
नित्य क्रियाएं उसकी
क्रीतदासी हो जाती हैं
और उसी रंगीन दुनिया के
रंगीन ख़्वाबों को
जीवन का सत्य माने बैठती हैं
दिखाकर अपने
रूपस चेहरे को भविष्य
लूटता है वर्तमान को
और
उसकी आंखों में पल रही
एक रंगीन दुनिया की
सुनहरी इच्छाओं की निर्मम
भ्रूण हत्या कर देता है
डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र
प्रयागराज फूलपुर
7458994874
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