bina-mask-dr-sampoornanand-mishra

बिना मास्क के/डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र | Bina mask

बिना मास्क के /डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र | Bina mask

प्रस्तुत  कविता   बिना  मास्क के / डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र  की स्वरचित रचना प्रेरणा दे  रही है कि  समाज के प्रबुद्ध लोगों  को आगे आना चाहिए।  जो बच्चे अपने माता – पिता को इस महामारी में खो चुके है , अब उनके पास न भोजन है , न ही रहने के लिए कोई आशियाना  वो  जीवन जीने की तलाश में एक जगह से दूसरी जगह घूम रहे है।  लेखक का साफ़ सन्देश है  कि इस महामारी में सबको मानव धर्म अपनाकर एक दूसरे की मदद करनी चाहिए , तभी हम सब विश्व गुरु भारत का निर्माण कर पाएंगे।

बिना मास्क के


लेटे हुए नौनिहालों को
फुटपाथ पर
बिना मास्क के देखा मैंने आज
उनमें से नहीं
कर पाए थे दर्शन
अपने माता-पिता के कुछ
और शेष ने खो दिया
उन्हें इस महामारी में
कर रहे थे वे संघर्ष मुट्ठी भर
स्वास्थ्य- रक्षा के लिए नहीं
भूख की लपट से बचने के लिए
पेटों को सहलाते हुए
एक सार्थक उत्तर ढूंढ़ रहे थे
अपने जन्म लेने का
क्योंकि भूख की आंच
जला रही थी उन्हें
फिर भी
छटांक भर उम्मीद
लिए चेहरे पर
तलाश रहे थे
हर दिशा में
अपने- अपने पालकों को
कुछ इसमें थोड़े सयाने थे
जिनकी आंखों के दरिया में
प्रश्नों की अनेकानेक मछलियां
निरर्थक तैर रही थीं
क्योंकि
समाधान की ज़िंदगी
उनकी मुट्ठी से
अभी कोसों दूर थी

bina-mask-dr-sampoornanand-mishra

डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र
शिवपुर वाराणसी
7458994874


अन्य  रचना पढ़े :

आपको  बिना मास्क के/डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र | Bina mask की स्वरचित रचना कैसी लगी , पसंद आये तो समाजिक मंचो पर शेयर करे इससे रचनाकार का उत्साह बढ़ता है।हिंदीरचनाकर पर अपनी रचना भेजने के लिए व्हाट्सएप्प नंबर 91 94540 02444, 9621313609 संपर्क कर कर सकते है। ईमेल के द्वारा रचना भेजने के लिए  help@hindirachnakar.in सम्पर्क कर सकते है|

हिंदीरचनाकार (डिसक्लेमर) : लेखक या सम्पादक की लिखित अनुमति के बिना पूर्ण या आंशिक रचनाओं का पुर्नप्रकाशन वर्जित है। लेखक के विचारों के साथ सम्पादक का सहमत या असहमत होना आवश्यक नहीं। सर्वाधिकार सुरक्षित। हिंदी रचनाकार में प्रकाशित रचनाओं में विचार लेखक के अपने हैं और हिंदीरचनाकार टीम का उनसे सहमत होना अनिवार्य नहीं है।|

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *