नीति – दशक | Neeti – Dashak/सीताराम चौहान पथिक

नीति – दशक | Neeti – Dashak/सीताराम चौहान पथिक

नीति – दशक


जो आया संसार  में , जाएगा इक रोज़ ।
राजा – रंक  -फकीर सब, महाकाल के भोज ।।

नहीं  सिकंदर  भी रहा , विश्व – विजय की आस ।
ऐंठा  – ऐंठा  क्यों फिरे , होगा इक दिन ग्रास ।।

महल – चोबारे – स्वर्ण – रथ , छूटेंगे इक रोज़ ।
कर्म चलेंगे संग  – संग  , भले – बुरे यह सोच ।।

नेकी कर ऐसी अरे , जग में बने मिसाल ।
हर गरीब आशीष दे , जियो हजारों साल ।।

तू आया संसार  में , करने भूल – सुधार ।
हीरा जन्म गॅवा दिया , जीती बाजी हार ।।

इस माया संसार  में , हंस  बन और जी ।
तत्व- हीन को त्याग कर , सार- रसायन पी ।।

दुनिया एक सराए है , तू समझा जागीर ।
कंकर  पत्थर जोड़ के , महल किये तामीर ।।

तूने   वचन के वचन , मन से दिये निकाल ।
मूर्ख तेरे द्वार पर , काल दे रहा ताल ।।

जीवन क्षण – भंगुर  समझ , प्रभु से कर ले प्रीति ।
जन्म सफल हो जाएगा , होय नहीं भव – भीति ।।

मनसा – वाचा – कर्मणा , राम नाम ही टेर ।
पथिक राम सुमिरन करे, कटे जनम का फेर ।।


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सीताराम चौहान पथिक
नई दिल्ली

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