लेखक अभय प्रताप सिंह का जीवन परिचय | Biography of author abhay pratap singh

लेखक अभय प्रताप सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के ग्राम बेनीकोपा ( कबीर वैनी ) पोस्ट बेनीकामा में हुआ था । इनके पिता का नाम हरिगेंद्र सिंह और माता का नाम प्रमिला सिंह हैं इनके पिता एक बहुत बड़े ठेकेदार थे जो बड़ी से बड़ी इमारतें बनवाए थे वहीं माता ग्रहणी हैं।इन सब के साथ – साथ अभय प्रताप सिंह के दो भाई और दो बहनें भी थी जिनका नाम , आदित्य प्रताप सिंह, अजीत प्रताप सिंह है और बहनों का नाम प्रतिमा और प्रतिभा है जिनमे बड़े भाई दिल्ली के कार्यायलय में कार्यरत हैं तो वहीं छोटे भाई भारतीय थल सेना में कार्यरत हैं।

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लेखक अभय प्रताप सिंह के पिता की तबियत खराब होने की वजह से उन्हें अपने काम को छोड़ना पड़ गया था , काम छोड़ने के बाद लेखक अभय प्रताप सिंह की घर की स्थिति काफ़ी हद्द तक ख़राब हो गई थी , जब उनके पिता अपने काम से दूरी बनाए थे उस वक्त लेखक अभय प्रताप सिंह की उम्र महज़ तीन साल और छोटे भाई अजीत प्रताप सिंह की उम्र महज़ एक साल ही थी।
घर की आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से लेखक अभय को और उनके छोटे भाई को बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था , जिसकी वजह से लेखक अभय बचपन से ही जिम्मेदार हो गए थे, और वो लिखे भी थे कि –
” शौक अक्सर उनके कम हो जाते हैं जो बचपन से ही जिम्मेदार हो जाते हैं

पढाई

लेखक अभय प्रताप सिंह की शुरवात की पढ़ाई लिखाई उनके मामा के यहां से हुई थी फिर उसके बाद वो गांव से करीब दो किलोमीटर स्थित एक स्कूल से बारहवीं तक की पढ़ाई पूरी किए थे, फिर सन 2018 में उन्होंने अपनी स्नातक पूरी की , उसके बाद जब मास्टर करने के लिए पैसे नहीं थे तो उनको अपनी पढ़ाई उस वक्त छोड़नी पड़ गई थी।
फिर उन्होंने एडीसीए , हिंदी और अग्रेंजी टाइपिंग , अमेरिकन और बिदेसी भाषाओं का भी ज्ञान हासिल किए। लोग कहते हैं की लेखक अभय पहले जज बनना चाह रहे थे पर आर्थिक स्थिति ख़राब होने की वज़ह से वो अपनी पढ़ाई सही से नहीं कर पाए जिसकी वजह से स्नातक में उनको सिर्फ़ 48 प्रतिशत ही नंबर आए थे । स्नताक में नंबर कम आने से वो अच्छे कॉलेज में अपनी वकालत की पढ़ाई के लिए नामांकन नहीं करवा पाए थे जिसकी वजह से उनका जज बनने का सपना हमेशा हमेशा के लिए बिखर गया था।

लेखक अभय बताते हैं की जब वो अपनी दसवीं की परीक्षा देकर आए थे तब वो अपनी और अपने भाई की पढ़ाई के लिए और घर का खर्च चलाने के लिए एक दुकान खोले थे और उसी दुकान के पैसों से वो बारहवीं किए , बारहवीं करने के बाद जब उनको लगा की इतने पैसों में घर का खर्च और भाई की पढ़ाई ,उनकी पढ़ाई नहीं हो पाएगी तो वो करीब दो साल बारहवीं पास करने के बाद सुरक्षा कर्मी की भी नौकरी किए थे और तब तक वो उस नौकरी को नहीं छोड़े थे जब तक वो अपने घर की स्थिति रहने लायक नहीं बना दिए थे।

स्नातक करने के बाद लेखक अभय आईएएस की तैयारी करने लगे थे और दो साल खुद से पढ़ने के बाद सन 2021 में वो दिल्ली चले गए थे पढ़ने के लिए जहां वो बड़ी संस्थान में अपना एडमिशन करा कर अपनी पढ़ाई में लग गए । उनका सिर्फ़ दो ही सपना था पहला लेखक बनना और दूसरा आईएएस बनना जिसमें वो आईएएस की तैयारी दिल्ली जाकर करने लगे थे और लेखक के तौर पर दो किताबें लिख चुके थे ।

योगदान

लेखक अभय के छोटे भाई जब भारतीय थल सेना में कार्यरत हो गए थे तो उसके बाद वो अपने बड़े भाई यानी लेखक अभय प्रताप सिंह को पढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़े थे। लेखक अभय प्रताप को पढ़ाने में उनके भाई का अहम योगदान रहा है। लेखक अभय कहते भी हैं कि – मैं जो कुछ भी हूं वो अपने छोटे भाई की वज़ह से हूं “। इसके साथ – साथ उनकी एक महिला मित्र भी थी जिनका नाम प्रभा सिंह था प्रभा भी लेखक अभय का हर एक तरह साथ दी थी ,मानसिक और आर्थिक दोनों रूपों से , ये भी माना जाता है की प्रभा लेखक अभय के सबसे करीब थी। इन सबके पहले लेखक अभय का साथ उनके चचेरे भाई अंशुमान सिंह भी दिए थे जो की अब तक लेखक अभय का साथ देते चले आ रहे हैं।

साहित्य में योगदान

लेखक अभय प्रताप सिंह अपने लेखनी की शुरवात सन 2015 से शुरू किए थे वो पहले छोटे – छोटे पंक्तियों को लिखना शुरू किए थे और लिखने के बाद सोशल मीडिया पर अपलोड कर देते थे जिसकी वजह से लोग उन्हें पागल कहते थे , लेकिन वो अपनी लेखनी जारी रखे और 22 साल की उम्र में वो अपनी पहली किताब ” कहानी हर विद्यार्थी की नई उम्मीद ” और 24 साल की उम्र में अपनी दूसरी किताब ” द माइंड एक प्रेरणादायक संघर्ष ” लिखकर युवा लेखक के नाम से अपनी नई पहचान बना लिए , लेखक अभय की कुछ कहानियां एवं कविताएं साझा संग्रहों में भी प्रकाशित हुई हैं और इसके साथ – साथ इन्होंने अपने नाम का परचम पत्रिकाओं और बहुत सारे समाचार पत्रों में भी लहराए हैं।
लेखक अभय को लोग उनकी पहली पुस्तक ” कहानी हर विद्यार्थी की नई उम्मीद ” से ही जानने लगे थे लेकिन उनकी दूसरी पुस्तक ” द माइंड एक प्रेरणादायक संघर्ष ” लेखक अभय को नई पहचान दी ।

लेखक अभय की विश्व विख्यात पंक्तियां हैं ….

1) ” अजीब सा समय आ गया है मेरे दोस्त ,
पहचान भी बहुत है और पहचानता भी कोई
नहीं “। ( जिसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ उभरते लेखक सम्मान से नवाजा गया था )

2) ” साथ की उम्मीद नहीं क्या पता क्या होगा ?
सफ़ल हुए तो तारीफ़ वर्ना इंतजार होगा,
ये प्यार, परिवार, दोस्त एक तन भी न होगा
कुछ लकड़ी, कण वो आग बस कफ़न होगा,
इन स्वार्थ से भरे रिश्तों से भी मैं छूट जाऊंगा
बस एक इशारा होगा ,मैं दफ़न हो जाऊंगा।

सम्मान


लेखक अभय अभी तक दो किताबें लिख चुके हैं और वो कई गीत , कविताएं और कहानियां भी लिख चुके हैं , उनकी बहुप्रसिद्ध कहानियां – ” मुठ्ठी भर जिंदगी ” और ” टूटती सांसे ” रहीं, वहीं अगर कविताओं की बात करें तो बहुत सारी कविताएं उनकी प्रसिद्ध रहीं जैसे – पापा मुझे याद है , मां तुम कैसे जी लेती हो , मेरा भाई मेरी जान है , एक शब्द उनके लिए , शहादत , ए बाबा समय बताता है, भगवान जाने आदि।

लेखक अभय को अभी तक में बहुत सारे पुरस्कारों से , सम्मानों से सम्मानित किया गया है जिनमें ” मुंशी प्रेमचन्द स्मृति पुरस्कार ” और उनकी विश्वविख्यात पंक्तियां

” अजीब सा समय आ गया है मेरे दोस्त ,
पहचान भी बहुत है और पहचानता भी कोई नहीं ”

के लिए सर्वश्रेष्ठ उभरते लेखक सम्मान मुख्य है।

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