हर घड़ी याद आती रही है तेरी | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ | हिंदी कविताएं

हर घड़ी याद आती रही है तेरी कट गई जिन्दगी बस-सफर में मेरी,हर घड़ी याद आती रही है तेरी।1। बागबॉ बन हिफाजत मैं करता रहा,हर कली में थी खुशबू समाई … Read More

वरिष्ठ साहित्यकार हरिश्चन्द्र त्रिपाठी’हरीश’ का रचना संसार

शीर्षक:- परिभाषा लिखता हूॅ सम्बन्धों के धूप-छॉव की,परिभाषा लिखता हूॅ,टूटे दर्पण की पीड़ा-अभिलाषा लिखता हूॅ।टेक। मस्त नाचते मोर-मोरनी,जंगल की हरियाली में,चातक,दादुर खूब थिरकते,घिरी घटा मतवाली में।कोंपल कलिका व्यथित विरहिणी ,की … Read More

इक बार पुकारा होता / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’

सजल इक बार पुकारा होता भूले से सही प्यार से,इक बार पुकारा होता,शबनमीं होंठों पे सनम, अधिकार तुम्हारा होता।1। ख्वाबों में ही देखी , वह मुहब्बत तेरी,ख्वाब सजते जो गजब, … Read More

पूछिये न कब ,कहॉ,मैं किधर गया / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’,

पूछिये न कब ,कहॉ,मैं किधर गया। हादसों का दौर वह, जो गुजर गया,नशा किसी के प्यार का,था उतर गया।1। झूमते थे जो शजर ,बुलन्द ख्वाब में,उखड़े जो जड़ से रुतबा … Read More