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गीतकार परमहंस मौर्य के हिंदी मुक्तक | हिंदी मुक्तक

१. आज कर लो जो है करना,जिंदगी का नहीं ठिकाना।कब साथ छोड़ के पड़ जाए,दुनिया से हमको जाना।हर पल शौख से जीना,रहना कभी न तन्हा,गम हो या खुशी हो हर हाल में मुस्कुराना।

२. धूप छांव के जैसे,अपनी भी जिंदगानी है।सुख दुख की आती हैं लहरें,जीवन बहता पानी है।कोई सुखी नही है सब है गम का मारा,राजा हो या भिखारी,सबकी यही कहानी है।

३. जिंदगी बस हसने हंसाने को मिले। अपनो के संग हर पल बिताने को मिले।रोने का मन हो तो भी रो न पाए कदम कदम पे इतना मुस्कुराने को मिले।

४. हमने झांक कर देखें हैं कई मकानों के अंदर।इंसानियत ही नहीं बची है अब इंसानों के अंदर। फरियाद करू तो किससे करू सायद आवाज ही नहीं पहुंचती है कानो के अंदर।

५. घमंड किस बात का था।फर्क बस दिन और रात का था।उंगली उठाना कोई गलत नहीं था मकसद अच्छे बुरे तालुकात का था।मौत तो सबकी निश्चित थी फासला तो बस अपने अपने वक्त के मुलाकात का था।

६. जो बची है उसे बीत जाने दो।
संघर्ष की लड़ाई में मुझे जीत जाने दो।
एक मौका मुझे भी दो अपनी दास्तां सुनाने का मेरे दर्द को समझो मुझे गीत गाने दो।

परम हंस मौर्य
गीतकार / शायर
रायबरेली उत्तर प्रदेश

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