हिन्दू नव वर्ष पर कविता 2022 – Hindu New Year Poem in Hindi – हिन्दू नव वर्ष पोएम इन हिंदी – Hindu Nav Varsh Kavita Hindi me

हिन्दू नव वर्ष पर कविता 2022 – Hindu New Year Poem in Hindi – हिन्दू नव वर्ष पोएम इन हिंदी – Hindu Nav Varsh Kavita Hindi me

नवसंवत्सर

झड़ गए सब पात पीले, कोंपलें,
आगमन नव वर्ष का बतला रही ।
अब न जाने कहाँ ठिठुरन भी गई,
देखकर नव वर्ष शोक मना रही ।।

पवन पावन पलक छूकर कह रही,
लो तुम्हारी याद कर मैं आ गई ।
अभी तक ठिठुरी हुई इक साँस थी,
अब मधुर मौसम जवानी छा गई।।

मदिर गँवई रूप बौराए दिखें ,
नवल यौवन की कथाएँ भा रहीं।
झड़ गए…………….।।

पक गए जौ, चना, गेहूँ सुनहरे ,
याद आई खेत को खलिहान की ।
लग रहा है बीत अब वह भी गई,
जो कठिन सी घड़ी थी इम्त्हान
की ।।

पक गईं होकर सुनहरी वालियाँ,
कुटिल फगुनाए अधर सहला रहीं।
झड़ गए………….।।

हो गई पायल सुरीली पाँव की ,
उम्र का भी ढंग मनमाना हुआ ।
दग्ध उर में प्रीति फिर पैदा हुई ,
शांति रस भी आज अनजाना हुआ ।।

चैत की चैती सुरों में सज गई ,
हृदय की झंकृत विधाएँ गा रहीं ।
झड़ गए…………….।।

पढ़ लिए दिल के इशारे मौन से,
राग फिर अनुराग बरसाने लगे ।
आ गया मधुमास फिर घर लौटकर,
प्राण को अनुप्राण तरसाने लगे।।

गंध है, मकरंद है चंचल हवा ,
तितलियाँ रंगों भरी अकुला रहीं ।
झड़ गए…………….।।

ठण्ड, ठिठुरन हो गई कल की कथा,
सड़ी सर्दी ने बहुत हमको छला ।
प्राण से छनकर बही जब रागिनी,
लगा आदिम छंद ही है भला ।।

बात छूकर मधु सने से अधर को ,
मधुरतम गुलकंद सी मन भा रही ।
झड़ गए……………..।।

होलिका के गीत सब रंगों भरे,
भजन से गाए गए अनुराग से ।
नया संवत्सर सजाने के लिए ,
किया है स्वागत सभीने फाग से।।

विरह मन का छोड़ आए ठण्ड में,
उमगते अनुराग की गति भा रही ।
झड़ गए सब पात पीले, कोंपलें ,
आगमन नव वर्ष का बतला रही।।

अनंग पाल सिंह’अनंग’

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