‘लिखो न उदासी’ | रश्मि लहर | Hindi Kavita

‘लिखो न उदासी’ | रश्मि लहर | Hindi Kavita

‘लिखो न उदासी’

डुबो दो खुशी में, लिखो न उदासी।
तुम्हें फिर है लिखना कोई गीत साथी।।
भरो भावनाएं अलंकृत करो नेह,
पुकारो कलम से कोई मीत साथी।।

पुकारो कलम से कोई मीत साथी।।

गिरा है धरा पर कभी बीज कोई,
पनप के उगा है हृदय सीँच वो ही,
शब्दों की कोमल सुसंस्कृत करो देह,
विचारो मनन कर नई रीत साथी।।

पुकारो कलम से कोई मीत साथी।।

अगर याद बिछड़े कभी आ भी जायें,
पलक भीग जाये, अधर थरथरायें।
जगा लो नया दीप, उन्नत करो गेह,
बुला लो छुटे पथ में जो प्रीत-साथी।।

पुकारो कलम से कोई मीत साथी।।

रश्मि लहर
लखनऊ।

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