जीवन सुख-दुःख का खेला है | नरेंद्र सिंह बघेल

जीवन सुख-दुःख का खेला है | नरेंद्र सिंह बघेल

जीवन सुख-दुःख का खेला है ।
पर पंछी यहाँ अकेला है ।।
कुछ सुखद सुवासित मधुरिम पल,
कुछ आतप सा यह जलता कल ,
जीवन की आपाधापी का ।
बस चलता यही झमेला है ।।
पर पंछी यहाँ अकेला है ।।
कुछ प्रेम प्रणय के गीत लिए ,
कुछ दर्द भरी एक टीस लिए ,
यादें ही गवाही रहतीं हैं ,
निशदिन यह सजता मेला है ।।
पर पंछी यहाँ अकेला है ।।
एक भोर किरन का संदेशा ,
एक अस्तांचल का अंदेशा ,
जीवन जो पल- पल बीत रहा ,
उसका ही यह सब रेला है ।।
पर पंछी यहाँ अकेला है ।।
** नरेन्द्र **

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