लोकतंत्र में वंशगत प्रचलन रहेगा / Shravan Kumar Pandey Pathik
जब तक लोकतंत्र में वंशगत प्रचलन रहेगा,
लोकतंत्र अपने स्थापित उद्देश्य से दूर रहेगा,
हम भारतीयों में ,,,
व्यक्ति पूजा का मानसिक दोष काफी गहरे प्रविष्ट हो चुका है, भारतीय व्यक्ति अपने से बड़े,अच्छी हैशियत वाले,व्यक्ति के साथ खड़े होकर खुद को रामदरबार में भरत,लक्ष्मण ,शत्रुध्न ,और हनुमान जी जैसा महसूस करता है,
अपनी पहुंच का वह अपनों के बीच इरादतन प्रदर्शन करता है,
खुद की हैशियत का विज्ञापन करता है,
कि ,,,,,,,सजनी हमहूँ राजकुमार,
लोकतंत्र हो ,,,,,
या जीवन का कोई भी क्षेत्र हो,हर सफल व्यक्ति भविष्य प्रबन्धन में लगा हुआ है, ऐसे लोगों को देवता होने का वहम भी सताता है, ऐसे लोग समझते हैं कि वह ही जन भाग्य विधाता हैं, जबकि मैं ऐसे लोगों को झुंड भाग्य विधाता से अधिक नही मानता,जो इनके पीछे पीछे उम्र खोते हैं, वह अभ्यस्त बेवकूफ होते हैं,
खजूर के पेड़ में चढ़कर कोई खजूर नही हो जाता,जब बड़े नेता का पराभव हो जाता तो उसका हर समर्थक नर विधवा बन कर रह जाता,
फिर वह बिन फेरे हम तेरे बना अपने नेता की यादों में शेष जीवन बिताता है,,,,,
इस देश के,,,,,
नेता लोग पूरी तरह से गड़रिया प्रवृत्ति के हैं, जिस प्रकार गड़रिये के पीछे चलने वाली भेंडे गड़रिये के मन से आत्म अर्पित होती हैं, गड़रिया जहां चराएगा वहां चरेंगी, जहां रात को बसाएगा वहां बसेंगी,उन्हें कभी भी यह चिंतन नही करती कि गड़रिया उन्हें बेंच भी देगा,
भेड़ों का भाग्य सदा गड़रिये के हांथ,
देश के खलियरों के नेताजी रघुनाथ,
इस देश के लोग ,,,
गुंडागर्दी को अच्छा नही मानते लेकिन गुंडों के प्रभाव का वर्णन बहुत ढंग से करते हैं, उनकी वार्ताओं में फ़लाना संत महंत बड़ा चमत्कारी,फलां तीर्थ में यह खूबी,,फलां शहर में वह खूबी,,,
जिन युवकों का ,,,
नेतावर्ग से कोई लेना देना नही उनकी बात चीत के आगे बड़ी से बड़ी विधान सभा की बहस फेल,अच्छे अच्छे वकील हो जाये इनकी सुनकर तिरको तिरेल,,,,
एक बोलेगा,,,,,,
अमां,,,फ़लाना फ़िल्म स्टार आजकल सबसे ज्यादा हिट,,फलानी हीरोइन क्या गजब की टनाटन ,फिट जनाब जैसे बड़ा पाव ऑफ खंडाला ,आज खूब चल रही है,,जनाब उसके जलवे है, जलवे,
दूसरा बोलेगा,,,,,
अमां,,,फ़लाना क्रिकेट खिलाड़ी इंडिया क्या वर्ड टॉप क्या छक्का लगाता है ,की बड्डे से बड्डा छक्का हक्का बक्का होकर आधा कच्चा आधा पक्का हो जाये,उसकी न जाने कितनी गेंदे आज तक आसमान से नही लौटीं,,,,
तीसरा बोलेगा,,,
अमां,,,,फ़लाना पहलवान जनाब भीम का भी बाप ,चालीस मुर्गे के अंडे चौदह लीटर दूध के साथ ,”
तभी ही ही ,,,,के बाद ,,,,,,आब्जेशन आब्जेकसन,,
अबे रावण के कजरौटे ,गोकुल के बिलौटे ,,,,मुर्गी का अंडा बोल ,मुर्गी का अंडा, ,,,ही ही ही ही ई हा,,,हूँ हू ऊँ ऊ,,,,,
चौथा बोलेगा,,,,
अमां,,,,फ़लाना मुक्केबाज अगर हांथी की खोपड़ी में बल भर मुक्का मार दे तो जनाब पचास हाँथ गहरा धांध हो जाये,तब उसे कोई पढ़ा लिखा खलियर बताता है कि ,,,,
अबे कुम्भकर्ण की दुम,बड़े बड़ा हांथी पन्द्रह हाँथ का होता है, ,हा ,हा ,हा, ही ही ही ही हीई ई ई,,साला रंगीन चैतुआ टमाटर कहीं का,
अब पांचवा बोलेगा,,,
अमां,,,फ़लाना रईश आदमी,इतनी फैक्ट्री, इतने माल,इतने होटल,कारों की कोई गिनती नही ,बड़े बड़े माफिया बड़े अधिकारी ,बड़े से बड़े मंत्री उसके तेल लगाते हैं,,,
तब कोई छठा खलियर कहेगा,,,,
अमे,,,,, यार मुझसे क्या बताता है, मेरे पापा तो उसके यहां सुबह शाम दूध देते थे,
उनकी तो बंगले के भीतर मैडम तक पहुंच थी, अपुन भी कई बार उनके बंगले गया है,
यह जैकिट उन्ही की मैडम का दिया हुआ है, इम्पोर्टेड है इम्पोटेड ,,,,
तब सातवाँ बोलेगा ,,
अमां ई भईं बात,,,,, है हे हे,,,,,ई ही है,,, गजाब की बात ,,,,,,अरे मेरे बाप,,,,
तेरे पापा दूध देते थे ,,,
अगर हम सबके पापा ऐसा करने लगें तो मजा आ जाये,,,,
गांय,, भैस ,,,बकरी सब बेरोजगार हो जांय,,योगी बाबा का टेंशन बढ़ जाय,अभी गौशाला फिर भैंसाला भी बोकर शाला भी,,,,ही ही ही ई ई ही,,,,
अब आठवां बोला,,,
छोंड़ जी,,,,फ़लाना कालेज,अमा अपुन वहीं का तापोटाप स्कॉलर हूँ,वह तो प्रोफेसर से बात बिगड़ गई ,झाड़ दिया एक कंटाप साले के ,,,रस्तीकेशन हो गया मेरा नही तो अब तक मैं डी यम ,कमिश्नर होता,,
अब नौवें ने कहा,,,,
अजी,,,,फ़लाना शहर,अमां अपुन साढ़े सात साल वहां टैक्सी चलाई है, क्या डब्बा लोग हैं उदर के ,तापोटाप चिल्लर फुटकर से ,,,,पैसा देने में एक दम रिमोट वटन, क्या फ्रेंक काला चश्मेबाजी,अपुन ने साढ़े सात साल की खूब धड़ल्ले से रंगबाजी, वो तो साला मर गया कोरोना,दूसरे आ गया साला ठाकरे,,यू पी वालों से बहुत जलता है साला, अबकी चुनाव में देखना साला घों घों चों चों पों हो जायेगा,
तभी दसवां बोला,
यू आर राईट,,,अमां मुम्बये का फ़लाना बाजार कुछ खरीदो या न खरीदो ,घूम घूम कर आंखे फ्रेश करो,आंखों आंखों से रसभरी कुदरत चरो,अमां फ़लाना होटल क्या लज्जतदार,डिस ,,,फटाफट,,चटपट,चटापट,
,,,,,अबे वो मोदी नरेंदर गुजराती,,,,जरा तेरह मसाला चाय ,फेंक ईद्दर को मलाई मार के,
तेरह मखनिये बिस्किट भी फेंट प्लेट में,,अमां जल्दी कर अमित शाह के बाप,फूल झाड़ू ईरानी के,टमाटर गडकरी के,
चौराहों में ,
खलियर नशेड़ियों की चौकड़ी में फलानी कार, फलानी बाइक,फ़लाना हिल स्टेशन,,, ही आपसी वार्ता के विषय रहते हैं,,,,
बहुत कम जगहों में ज्ञान,विज्ञान, स्वास्थ्य,कृषि, परिवेश, नागरिक आचरण की बातें करते लोग मिलेंगे,पद अनुरूप आचरण की बातें करने वाले व्यक्ति को लोग अक्सर अपने बींच से खारिज किये रहते हैं,
यह बात,,,
इस देश के राजपुरुषों को पता है, उन्हें मालूम है कि भविष्य में तरक्की की ख्वाहिश में युवक,युवतियों में यह जीन्स है कि वह अपने माँ बाप से अधिक स्थान राजनेता को देंगे,
आज के राजपुरुष अपनी औलादों को बड़े सुनियोजित ढंग से आगे बढ़ाते हैं, जनता की औलादों को पालतू श्वान सदृश्य पीछे पीछे टहलाते हैं,
इन युवक युवतियों को नेता के उत्थान से भले ही कोई लाभ न मिले, लेकिन नेता के पतन से ऐसी हानि होती है कि जिसे वह जीवन भर पूरी नही कर पाता,
नेता एक ऐसा जीव है जो लेना तो जानता है, कभी देना नही जानता,क्या कहूँ उस तबके को जो नेता नाम के जीव को भगवान मानता,
उम्मीद है मेरे इस लेख में नेताओं के पिछलग्गू बने युवक लोग स्वयं की समीक्षा अवश्य करेंगे,और नेता संगति से,समय खपाऊ कुसंगति से स्वयं को बचाएंगे,
नेता,,माँ बाप से बढ़कर नही होता,
नेता कोई भी हो वह भगवान नही है,,,
यदि आपके पास खूद का धन नही ,,
तो नेतानगरी पथकर्म आसान नही है,
Shravan Kumar Pandey Pathik