mahashivratri poetry -ओम की महिमा/प्रेमलता शर्मा
ओम की महिमा
(mahashivratri poetry)
ओम से ही सृष्टि का आरंभ हुआ है
ओम पर ही अंत
ओम मैं ही संपूर्ण ब्रह्मांड है
ओम ही शिव स्वरूप
ओम ही शांति ओम ही शक्ति
ओम ही भक्ति स्वरूप
ओम ईश्वर ओम परमेश्वर
ओम ही भुवन स्वरूप
ओम ही अग्नि ओम ही वायु
ओम ही जल स्वरूप
ओम ही पावन ओम ही पवित्र
ओम ही निर्मल स्वरूप
ओम ही ओम रटते रहो
ओम ही सृजन हार
ओम ही ओम जपते रहो
ओम ही तारणहार
ओम के बिना यह जग सूना
ओम ही है आधार
ओम ही सत्य है ओम ही शिव है
ओम ही सुंदरता का आकार
ॐ की महिमा बड़ी अपूर्व है
ओम में सिमटा सारा संसार
ओम से बढ़कर न कोई मंत्र है
ओम से बड़ा न कोई तंत्र
ओम की डोर पकड़ कर मानव
हो जाओ भवसागर पार
ओम के जप से हर कष्ट कटे हैं
ओम हरे हर क्लेश
ओम के मंत्र से हर रोग का नाश है
ओम से हो क्रोध शांत
ओम ही शांति शांति ही ओम
शांति शांति ओम
ओम से ही सृष्टि का आरंभ हुआ है
ओम पर ही अंत
ॐ नमः शिवाय
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