मणिपुर | Manipur Par Hindi Kavita | Manipur Hindi Poetry | हूबनाथ

मणिपुर | Manipur Par Hindi Kavita | Manipur Hindi Poetry

राजसभा
जब द्यूतसभा में बदल जाए
तब शासन
दु:शासन
और प्रजा पांचाली हो जाती है

धृतराष्ट्र
जब राष्ट्र का पर्याय बन जाए
तब अंधापन बन जाता है
राष्ट्रीय कर्तव्य

संजय
जब झूठ के तलवे चाटता है
तब सत्य
सत्ता की रखैल बन जाता है

महाभारत
एक कथा नहीं
मानवीय व्यथा है
जो अलग अलग ढंग से
दुहराई जाती है हर युग में

और ख़त्म होती है
ईश्वर की मृत्यु पर
वह ईश्वर
जो हर बार नहीं आता है
स्त्री की लाज बचाने को

-हूबनाथ

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