झूठी सबकी पीर | हिंदी भजन | नरेंद्र सिंह बघेल
झूठी सबकी पीर | हिंदी भजन | नरेंद्र सिंह बघेल
झूठी सबकी पीर रे बंदे ,
झूठी सबकी पीर रे !
झूठी सबकी पीर ।।
माया में तू क्यूँ भरमाया ,
साथ न कोई भी दे पाया ।
कहने के सब नाते – रिश्ते ,
स्वारथ में ही साथ निभाया ।।
कह गये दास कबीर रे बंदे ,
झूठी सब की पीर रे बंदे ।
झूठी सबकी पीर रे !
झूठी सबकी पीर ।।
इस जग का बस यही झमेला ,
मतलब का सब लगा है मेला ।
हर कोई माँगे अपना हिस्सा ,
प्रभु यह तेरा कैसा है खेला ।।
लूट रहे जागीर रे बंन्दे ।
झूठी सबकी पीर रे बंन्दे ,
झूठी सबकी पीर रे !
झूठी सबकी पीर ।।
दुनियाँ चाहे हीरे – मोती ,
भूल गया क्यों ? प्रभु की ज्योति ।
भव को पार करेगा कैसे ?
माया में जब तक है प्रीति ।।
कौन ? बंटाए पीर रे बंन्दे ,
झूठी सबकी पीर रे बंन्दे ।
झूठी सबकी पीर रे !
झूठी सबकी पीर ।।
*** नरेन्द्र ****