मृत्यु के बाद / सम्पूर्णानंद मिश्र
मृत्यु के बाद / सम्पूर्णानंद मिश्र
लेकर जाती है
औरत अपनी मृत्यु के बाद
घर की समृद्धि
बच्चों का बचपन
बेटियों का अल्हड़पन
घर की दीवारों की मुस्कुराहट
चौखट की गोपनीयता
खिड़कियों की रौशनी
चूल्हे- चौकों की मर्यादा
आंगन का हरापन
ममता के दरख़्त की शीतल छाया
जीवन की समरसता
और दे जाती है
एकान्त के
सहस्र घाव
पति की देह पर
व
चिंता की असंख्य लकीरें
उसके पेशानी पर
सम्पूर्णानंद मिश्र
शिवपुर वाराणसी
7458994874