Poem on corona-इस कोरोना काल में

Poem on corona

इस कोरोना काल में

दर्द हमारा सूना निकला, इस कोरोना काल में।

रिश्ते नाते दूर हो गए,इस कोरोना काल में।

 

तिमारदार अब दूर ,हो गए इस कोराना काल में ।

रोती आंखें दर्द हमारा, इस करो ना कॉल में।

 

हमदर्दी और सहयोग की बातें ऑनलाइन अब सिमट गई।

गमी हो जाए किसी के घर में तो जोमोटो से खाना भिजवाए।

 

बात अगर रिश्तो की होगी तो सबसे पहले वही इतराए।

कैसे-कैसे दिन देखे हैं इस कोरोना काल में।

 

रिश्ते नाते धोखा लगते इस कोरोना काल में।

ये सब दूर बैठे आंसू बहाए हमारे संक्रमण काल में।

 

क्या हम भी अब स्वार्थी हो जाएं इस कोरोना काल में।

क्या हम भी अब ऑनलाइन हो जाए इस कोरोना काल में।

 

क्या हम भी अब जोमोटो से

 लंच पैकेट भिजवाए इस कोरोना काल में।

 

नहीं हम ऐसे नहीं हो सकते इस कोरोना काल में।

हम सबको मिलकर लड़ना है इस कोरोना काल में।

Poem-on-corona
आस्था श्रीवास्तव

 

आपको Poem on corona-इस कोरोना काल में / आस्था श्रीवास्तव की रचना कैसी लगी अपने सुझाव कमेंट बॉक्स में अवश्य बताये इससे रचनाकार का उत्साह बढ़ता है

हिंदीरचनाकार (डिसक्लेमर) : लेखक या सम्पादक की लिखित अनुमति के बिना पूर्ण या आंशिक रचनाओं का पुर्नप्रकाशन वर्जित है। लेखक के विचारों के साथ सम्पादक का सहमत या असहमत होना आवश्यक नहीं। सर्वाधिकार सुरक्षित। हिंदी रचनाकार में प्रकाशित रचनाओं में विचार लेखक के अपने हैं और हिंदीरचनाकार टीम का उनसे सहमत होना अनिवार्य नहीं है।|आपकी रचनात्मकता को हिंदीरचनाकार देगा नया मुक़ाम, रचना भेजने के लिए help@hindirachnakar.in सम्पर्क कर सकते है| whatsapp के माद्यम से रचना भेजने के लिए 91 94540 02444, ९६२१३१३६०९ संपर्क कर कर सकते है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *