स्वाभिमानी महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि पर कविता
स्वाभिमानी महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि पर कविता
है स्वाभिमान के दिव्य पुंज ,
शत-शत प्रणाम हम करते हैं।
हे राम, प्रताप को लौटा दो ,
दिन- रात प्रार्थना करते हैं ।
तुम भीष्म पितामह थे युग के,
प्रण किया- महल सुख त्याग दिये।
नहीं झुका भाल अकबर सम्मुख ,
भू- शयन राग अनुराग हिये ।
मेवाड़ सूर्य फिर से चमको ,
पुनः स्वाभिमान सिखला जाओ ।
हम भूल रहे स्वर्णिम अतीत,
दर्पण हमको दिखला जाओ।
आ जाओ हॄदय- सम्राट आज
शकुनी के दम पर देश आज ।
जन-नायक चांदी कूट रहे ,
दल दलदल , किसको चुने आज ?
नैतिकता खूंटी पर लटकी ,
स्वाभिमान देश का सोया है।
इस भ्रष्टाचार की आँधी ने ,
निष्ठा का दामन धोया है ।
भारत की संस्कृति लुप्त प्राय
दास्ता प्रबोध हम पर हावी ।
विदेशी कंपनियां सम्मानित ,
स्वदेशी हुई निः प्रभावी ।।
पद्मिनी पन्ना और कर्मवती ,
वीरांगनाओ की धरती है ।
यह जन्म- भूमि मेवाड़ ,
हमारे राणाओ की धरती है।
फिर चेतक पर होकर सवार ,
आ जाओ, देश को झकझोरो
विलास- प्रिय है युवा – शक्ति
ओजस्वी बन कर झकझोरो ।

