सोशल मीडिया पर कविता – poetry in social media- शैलेन्द्र कुमार

poetry in social  media

 सोशल मीडिया

कोई मंच ऐसा हो

कोई जगह ऐसी हो

जहाँ  साझा कर सकें सुख

जहाँ व्यक्त कर सकें पीड़ा

जहाँ रो सकें मन भर

जहाँ मुस्करा सके निसंकोच

जहाँ हँस सकें दिल खोलकर

कह सकें हृदय की बात।

जहाँ

अपने गमों को

अपनी खुशियों को

अपने मनोभावों को

अपनी मनोदशा को

अपने अपराध

अपनी कमजोरियां

शेयर करें बेधड़क…

कह सके कान में कह सकने वाली बात

खोल सके अनकहे राज।

लाइक की लालसा नहीं मुझे

कमेंट पर भी जोर नहीं

दिल में जो है

(सच में जो है दिल में बेहिचक बयाँ कर सकें)

क्या ऐसी जगह है कहीं?

सोशल मीडिया…

व्हाटस एप ?

फेसबुक ?

ट्विटर ?

इंस्टाग्राम?

कहाँ है वह जगह??

poetry- in- social- media
शैलेन्द्र कुमार

 

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