आत्महत्या- hindi poem suicide| Aatmhatya kavita

 आत्महत्या (लैटिन suicidium, sui caedere से, जिसका अर्थ है “स्वयं को मारना”) जानबूझ कर अपनी मृत्यु का कारण बनने के लिए कार्य करना है। आत्महत्या अक्सर निराशा के चलते की जाती है, जिसके लिए अवसाद, द्विध्रुवीय विकार, मनोभाजन, शराब की लत या मादक दवाओं का सेवनजैसे मानसिक विकारों को जिम्मेदार ठहराया जाता है। hindi poem suicide| Aatmhatya kavita  तनाव के कारक जैसे वित्तीय कठिनाइयां या पारस्परिक संबंधों में परेशानियों की भी अक्सर एक भूमिका होती है। आत्महत्या को रोकने के प्रयासों में आग्नेयास्त्रों तक पहुंच को सीमित करना, मानसिक बीमारी का उपचार करना तथा नशीली दवाओं के उपयोग को रोकना तथा आर्थिक विकास को बेहतर करना शामिल हैं।

आत्महत्या करने के लिए उपयोग की जाने वाली सबसे आम विधि, देशों के अनुसार भिन्न-भिन्न होती है और आंशिक रूप से उपलब्धता से संबंधित है। आम विधियों में निम्नलिखित शामिल हैं: लटकना, कीटनाशक ज़हर पीना और बंदूकें। लगभग 8,00,000 से 10,00,000 लोग हर वर्ष आत्महत्या करते हैं, जिस कारण से यह दुनिया का दसवे नंबर का मानव मृत्यु का कारण है।पुरुषों से महिलाओं में इसकी दर अधिक है, पुरुषों में महिलाओं की तुलना में इसके होने का समभावना तीन से चार गुना तक अधिक है।अनुमानतः प्रत्येक वर्ष 10 से 20 मिलियन गैर-घातक आत्महत्या प्रयास होते हैं। युवाओं तथा महिलाओं में प्रयास अधिक आम हैं। संपूर्णानंद मिश्र की आत्महत्या पर राष्ट्र को समर्पित कविता 

आत्महत्या

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व्यक्ति अंधा हो
जाता है

आकाश को छूने
की होड़ में

प्रतिस्पर्धी
हो जाता है

भेद नहीं कर
पाता है

 अक्सर ऐसा होता
है

सही ग़लत के
निर्णय में

 ग्लैमर की दुनिया  

की चकाचौंध में

स्वप्न बिखर जाते
हैं

 कई अभिनेताओं
के

कई के टूट
जाते हैं

आत्मीयता नहीं होती
है

  क्योंकि वहां

कोई अपना नहीं
होता है

कोई हमदर्द नहीं होता

किसी का कोई
वहां      कामयाबी
का स्वर

 सुनने के लिए

 गलाकाट प्रतियोगिता में 

  लाश पर
चढ़कर किसी के

    प्रतिभाग करना

 वहां की
संस्कृति है

 कोई मर
रहा है वहां

या जी रहा
है

सुखी है या
दुखी है

 किसी में
नहीं है

यह जानने की फ़ुर्सत

अवसादग्रस्तता
की तरफ़

 ले जाती
है यह स्थिति

और अवसादग्रस्तता *आत्महत्या

का एकांतिक पथ

दिखाती है*

संपूर्णानंद मिश्र

प्रयागराज फूलपुर

 7458994874

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