ravan hindi kavita/रावण  पर  हिंदी कविता 

(ravan hindi kavita)

रावण  पर  हिंदी कविता 

रावण 


 

रावण, क्यों बना रावण

यह उसकी पहली और आखिरी गलती नहीं थी

क्यों चूराया उसने सीता को

उसके पास क्या कोई अन्य विकल्प ना था ,

रावण विद्वान था ,

दशो दिशाओं का ज्ञान था ,

बहन का अपमान हुआपूरे प्रकरण को ना जानना अज्ञान था

परन्तु वह भी क्या करें

जो चीज पसंद जाए ,

उसे प्राप्त करना शक्ति और अहंकार द्वारा

यही राक्षसी संस्कृति थी उन दिनों

रावण शक्तिशाली था , इसी अहंकार ने

उसके दशो दिशाओं के ज्ञान तथा विवेक का सर्वनाश कर दिया

राम से विरोध

क्या वह जानता ना था

परमात्वअंश  को

वह शिव भक्त थारावण संहिता का रचयिता था,

वेदों का ज्ञाता था

फिर भी उसने राम की शक्ति को ललकारा ,

उसके दोनों हाथों में लड्डू थे

विजयी हुआ तो त्रिलोक विजेता ,

मारा गया तो परम गति का अधिकारी

असत्य की प्रबल शक्ति के आगे सत्य विवश था ,

अन्ततः सत्य की विजय हुई

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आज फिर रावण ने अपनी सीमाएं तोड़ दी है

अपने अज्ञान और अविवेक के द्वारा ,

जानबूझ कर मानवता के विनाश पर उतारू है

उसे अनेक राजनीतिक शक्तियों का संरक्षण प्राप्त है

धर्म के नाम पर

भाषा के नाम पर ,

वह मानवता को छल रहा है।

प्रांतीयता और जेहाद के नाम पर

गरीबों अफवाओं और बच्चों का शोषण कर रहा है

आओ राम के सच्चे भक्तो ,

धर्म के मर्मज्ञो ,

अपने आत्मा बल से ,

इस रावण का विनाश करें

विश्व के शान्ति प्रेमियो

संगठित होकर अहंकारी रावण का सर्वनाश करें

यह रावण अब विश्व व्यापी रावण बन गया है

सम्पूर्ण मानवता के लिए एक प्रबल चुनौती बन गया है

यह कट्टर पंथी रावण

अपनी असंख्य अज्ञात भूजाओ के द्वारा ,

राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय विकास समृद्धि एवं विश्व शांति का संहारक बन गया है

यह रावण त्रेता के रावण से अधिक क्रूर ,

निर्दयी तथा असंख्य गुणा अधिक मानवता घाती है,

आओ , हम संगठित होकर सत्य स्वरूप राम का आत्मविश्वास बढ़ाए

 

उनके कन्धे से कन्धा मिलाकर

चरम पंथी शत्तिशाली रावण का अंत करें

परन्तु हमें यह नहीं भूलना है ,

हमारे अंदर भी युगों से राम रावण युद्ध जारी है

हम बाहरी रावण पर विजय प्राप्त करके भी ,

भीतरी रावण को आज भी नहीं मार सके हैं।

यदि इस विश्व व्यापी रावण का अंत करना है

तो भीतर छिपे रावण का पहले समूल विनाश करना होगा

 

दृढ संकल्प शक्ति से सत्य स्वरूप राम का समर्थन करके

सम्पूर्ण मानवता के हित में संगठित होकर ,

यदि आवश्यक हो तो बल प्रयोग द्वारा ,

इस विनाश कारी रावण को

 

कुचलना ही होगा ,

क्योंकि अन्ततः विजय सत्य की ही  होती है ।।

ravan- hindi- kavita

सीता राम चौहान पथिक दिल्ली 

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