rashtiya vedana hindi kavita/राष्ट्रीय वेदना हिंदी कविता

rashtiya vedana hindi kavita :  सीताराम  चौहान पथिक  की रचना  राष्ट्रीय वेदना  हिंदी  कविता   देशभक्ति   की  भावना  जाग्रत  करती  है  प्रस्तुत  है  रचना 

   राष्ट्रीय – वेदना । 


भारत    मेरा  देश है,
मेरे जीवन का सार ।
भगवन मेरे देश को,
देना शक्ति अपार ।। 
 
भारतीय सब हों यहां,
जाति धर्म से मुक्त ।
राष्ट्रीयता एक हो ,
स्वाभिमान सम्पुष्ट ।। 
 
ऐसा       मेरा   देश   हो ,
जिएं   सभी  पर – हेत ।
सभी पड़ोसी शान्ति -प्रिय ,
प्रभु देना उन्हें विवेक ।। 
 
राजनीति है भ्रष्टतम —
जन -प्रतिनिधि निकॄष्ट । 
मेधा – शोधन करो प्रभु ,
हो देश -भक्त उत्कृष्ट ।। 
 
पाश्चात्य संस्कृति में  ,
भूले  हम स्वर्ण – अतीत । 
पश्चिम शिक्षा ग्रहण कर ,
हम होते दास प्रतीत ।। 
 
प्रभु   मेरे  इस  देश  में ,
राम – राज्य  युग  लाओ ।
अप – संस्कृति संक्रमण से ,
पीड़ित यह देश बचाओ ।। 
 
नहीं स्व – भाषा का अहम ,
निज भाषा से ग्लानि । 
जहां राष्ट्र – भाषा नहीं ,
गूंगा है वह  यह जानि ।। 
 
कर्ण   धार  इस  देश  के , 
हैं पश्चिम की देन ।
भारतीय संस्कृति से , 
उनका लेन – ना – देन ।। 
 
खंड – खंड भारत हुआ , 
था अखंड यह देश । 
तार – तार हुई एकता  , 
देख विभीषण – क्लेश ।।
 
जागो भारत – भारती ,
तुम पर है विश्वास । 
अग्नि परीक्षा का समय ,
तुम भारत की आस ।।
 
विनती है प्रभु आपसे ,
 तुम ही करो उपाय । 
कर्ण धार जन -प्रिय हों ,
सेवक नम्र सुभाय ।। 
 
रक्षा – कवच अभेध्य हो ,
शक्तिशाली हो देश । 
आतंकी साया ना हो  ,
पथिक शान्ति  सन्देश ।। 
rashtiya -vedana -hindi- kavita
सीता राम चौहान पथिक
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