सर्दी की रात | रत्ना सिंह
ये बात सुन- सुनकर कान तक गये थे कि कोई काम असम्भव नहीं है बस हम उसे करना चाहें तो —वो बात और है कि हम काम करना नहीं चाहते और कह देते हैं कि ये काम असम्भव है। लेकिन सुरेखी काकी को अनेकों बार देखा कि वो रात दिन एक मशीन की तरह काम करती है मशीन फिर भी खराब हो जाती है लेकिन याद नहीं पड़ता कि कभी उसे थकते देखा हो फिर भी —-?उसे भी सब यही कहते मेहनत से काम करती रहो कोई काम असम्भव नहीं है और वो—-। कल का दृश्य देख मैं हतप्रभ रह गयी , जब सुरेखी काकी को देखा कि रात के करीब आठ बजे सर्द से कांपते हुए हाथ में पानी की बाल्टी लिए नल के तरफ से चली आ रही थी तभी सर्द में पैर कांपते हुए डगमगाया और वे जमीन पर गिर पड़ी। सारी रात सर्दी में कांपती रहीं। मैंने उन्हें ——-? हर किसी का जवाब एक ही सुनकर मैंने सोचा कि पापा कल जो Alexa लेकर आए हैं उससे पूछकर देखती हूं वो क्या जवाब देती है -Alexa का जवाब भी वही कोई काम असम्भव नहीं है। तो फिर Alexa ये बताओ सुरेखी काकी इतना काम करती है फिर भी सर्दी के लिए गर्म रजाई क्यों नहीं? Alexa का जवाब इस बार अलग —समझ नहीं आया क्या आप दुबारा पूंछ सकती हैं? मैंने कहा -Alexa तुम भी —मुझे समझ आ गया है इसका जवाब —।