satta-se-sadak-ka‌-hindi-kavita

सत्ता से सड़क का‌ हिंदी में /सम्पूर्णानंद मिश्र

सत्ता से सड़क का‌ हिंदी में  / सम्पूर्णानंद मिश्र :  कविता अपने समय और परिवेश की अभिव्यक्ति होती है। जिन्हें एक संवेदनशील मनुष्य शब्दों के माध्यम से आकार प्रदान करता है यही संवेदनशील ही उसे एक सामान्य इंसान से ऊपर उठाकर कवि के राज सिंहासन पर विराजमान करती है। डॉ . संपूर्णानंद मिश्र की कविता सत्ता से सड़क तक में यही संवेदनशील एक दर्द के रूप में आकार ग्रहण किया है। यह कविता अपने कथ्य और शिल्प दोनों ही दृष्टियों से एक मुकम्मल कविता है।यह कविता धूमिल की कविता संसद से सड़क तक की याद ताज़ा कर देती है। धूमिल की कविता का परिवेश अलग था और संपूर्णानंद जी की कविता का परिवेश अलग है । आज़ राजनीति में धन बल और बाहुबल जिस रूप में सफल हो रहा है शायद धूमिल के समय में ऐसा नहीं था। क्योंकि उस समय देश का चौथा आधार स्तम्भ सत्ता की गोंद में ऐसा नहीं सो रहा था जैसा का वर्तमान में सो रहा है।सत्ता से सड़क तक कविता का मूल मर्म यह है आज़ की राजनीति एक शिक्षिज और समझदार नागरिक नहीं बल्कि अंधभक्त समर्थक चाहती है जो न कभी अपने आका से सवाल करे और न ही उनकेे किसी कार्य के औचित्य पर शक करें बस जय-जय कार करें।
राजनीति चाहती है कि जनता भीड़ में तब्दील हो जाए,एक ऐसी भीड़ जो दिमाग रहित हो । दिमाग हो जाएगा तो वह अपने हक की मांग करेगा और हो सकता है कि उन्हें सत्ता के सिंहासन से उतार भी दें।आज़ हमारे देश में शिक्षा व्यवस्था की जो हालात हैं वह हमारे देश की राजनीति का ही शिकार है ।
शिक्षित इंसान की तुलना में अशिक्षित इंसान को धर्म और मजहब के मुद्दे पर एक जुट करना आसान होता है। उनकेे अन्दर साम्प्रदायिक का विष आसानी बोया जा सकता है । इसलिए राजनीति में कोई भी राजनेता अपने बीच से किसी को आगे नहीं बढ़ने देना चाहता है ।

सत्ता से सड़क का‌


मानती है
सफल अपने प्रसव को
सत्ता
लंगड़ा, अंधा और बहरा
जब उसकी कोख से
जन्मते हैं
एवं
चलते हैं ताउम्र
दिए हुए उसकी बैसाखी पर
देखते हैं चश्में से उसी के
सुनते हैं सिर्फ़ वही ध्वनि
जो सुनाना चाहती है
जिस दिन
चलने लगे अपनी चाल
राजपथ पर वह
देखने लगे
अपनी आंखों से
राजसिंहासन के चौपायों को
छोड़ दे सुनना उस ध्वनि को
जो निकली हो सत्ता के रनिवास से
उस दिन घोंट देती है गला
अपने ही आत्मीयजन का
क्योंकि पसंद है
बांझिन रहना उसे
लेकिन नहीं पसंद है कि
लेकर सहारा
ममता की आंचल का
दिखा दे एकांतिक पथ
सत्ता से सड़क का


satta-se-sadak-ka‌

सम्पूर्णानंद मिश्र
फूलपुर प्रयागराज
7458994874

आपको  सत्ता से सड़क का‌ हिंदी में  / सम्पूर्णानंद मिश्र  की  स्वरचित रचना कैसी लगी,  पसंद आये तो समाजिक मंचो पर शेयर करे इससे रचनाकार का उत्साह बढ़ता है।हिंदीरचनाकर पर अपनी रचना भेजने के लिए व्हाट्सएप्प नंबर 91 94540 02444, 9621313609 संपर्क कर कर सकते है। ईमेल के द्वारा रचना भेजने के लिए  help@hindirachnakar.in सम्पर्क कर सकते है|

अन्य  रचना पढ़े :

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *